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________________ ११२ आप्तवाणी-७ उस जलन के उपडमिट नहीं करनी याद मैली हो बच्चे पर ल डालें?' तब पर बहे ही मंजिल के, तो जैसे-जैसे ऊँचे चढ़े, वैसे-वैसे सफाई बढ़ती है। और जितनी सफाई बढ़ती है, उतनी ही जलन बढ़ती है। फिर उस जलन के उपाय में ब्रांडी और दूसरे सभी उपाय करता है। तो क्या सफाई एडमिट नहीं करनी चाहिए? नहीं, सफाई एडमिट इतनी ही करनी अच्छी कि जो यदि मैली हो जाए, फिर भी हमें चिंता नहीं हो। बच्चा उस सफाई को बिगाड़ दे, तब भी उस बच्चे पर गुस्सा नहीं होना पड़े। यह तो कहेगा कि, 'यह पुराना सोफासेट बदल डालें?' तब मैंने कहा कि, 'नहीं, उसे रहने दो न!' क्योंकि छोटा बच्चा उस पर ब्लेड से चीरा लगा देगा तो भी आपको परेशानी नहीं होगी। बल्कि उसे कहना, 'ले दसरा चीरा लगा।' इससे आपको निर्भयता रहेगी। हमें साधन ऐसे रखने चाहिए कि जो साधन हमें भय नहीं करवाएँ, नहीं तो फिर कृपालुदेव ने गाया है, वैसा होगा कि, 'सहु साधन बंधन थयां रह्यो न कोई उपाय, सत् साधन समज्यो नहीं त्यां बंधन शुं जाय?' यानी ये साधन ही बंधन बन गए हैं। इसके बावजूद कुछ साधन ऐसे होते हैं कि जो आवश्यक हैं। उन साधनों को हटाना नहीं। क्योंकि वे अवश्य होने ही चाहिए, लेकिन उनकी मात्रा हमें समझ लेनी चाहिए। बंगला कितना बड़ा बनवाना चाहिए, उसकी कोई लिमिट तो होगी न या नहीं होगी? अपने पास पाँच अरब रुपये हैं लेकिन बंगला कितना बड़ा बनाना चाहिए, उसकी लिमिट होनी चाहिए या अनलिमिटेड होना चाहिए? किसी का अन्लिमिटेड बंगला देखा है आपने? नहीं। होगा, किसी का तो होगा न? अन्लिमिटेड किसी का होता नहीं है न! होटल भी अन्लिमिटेड नहीं होती, उसकी भी लिमिट रखी होती है, लेकिन बंगले लिमिटेड नहीं बनते। मेरा कहना है कि इसमें क्यों अन्लिमिटेड बनते हो? क्योंकि वही फिर खुद के लिए परेशानी बन जाएगी, बच्चे ने थोड़ा भी बिगाड़ा कि उस पर चिढ़ता रहेगा और बच्चे को मारता रहेगा!
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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