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________________ चिंता से मुक्ति (५) ६३ आई है, संडास अपना टाइम लेकर आई है, किसलिए वरीज़ करते हो? नींद का टाइम होते ही अपने आप आँखें मिंच जाएँगी। 'उठना' भी अपना टाइम लेकर आया है। उसी तरह बेटी भी अपने विवाह का टाइम लेकर आई है। वह पहले जाएगी या हम पहले जाएँगे, है कोई उसका ठिकाना? परसत्ता को पकड़े, वहाँ चिंता होगी आपको कैसा है? कभी उपाधि होती है? चिंता हो जाती है? प्रश्नकर्ता : हमारी इस बड़ी बेटी की सगाई नहीं हो रही है, इसलिए परेशानी हो जाती है न! दादाश्री : महावीर भगवान को क्या अपनी बेटी की शादी नहीं करवानी थी? वह भी बड़ी हो गई थी न? भगवान क्यों परेशान नहीं होते थे? आपके हाथ में हो तो परेशान होवो न, लेकिन क्या यह चीज़ आपके हाथ में है? प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : नहीं? तो परेशान क्यों होते हो? तो क्या फिर इस सेठ के हाथ में है? इस बहन के हाथ में है? प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : तो किस के हाथ में है, वह जाने बिना आप परेशान होने लगो तो वह किस जैसा है? कि मान लो, हम दस लोग एक घोडागाडी में बैठे हों, बडी दो घोडों की घोडागाडी है। अब चलानेवाला उसे चला रहा है और आप उसमें बैठे शोर मचाओ कि, 'एय! ऐसे चला, एय! ऐसे चला,' तो क्या होगा? जो चला रहा है, उसे देखते रहो न! 'चलानेवाला कौन है' इतना जान लें तो हमें चिंता नहीं होगी। उसी प्रकार 'यह जगत् कौन चला रहा है' यदि वह जान लें तो हमें चिंता नहीं होगी। आप
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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