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________________ चीकणी फाइल चीकणी किसलिए है? खुद ने ही चीकणी की है इसलिए। चीकणी फाइल की चिपचिपाहट देखने से बदले खुद की प्रकृति की चिपचिपाहट दिखेगी, तब फाइल को देखने की दृष्टि ही बदल जाएगी! खुद की 'प्रकृति का फोटो' पुरुष हो जाने के बाद ही खिंचता है। अहंकाररूपी केमरे से कहीं फोटो खिंचते हैं? उसके लिए तो मौलिक केमरा चाहिए। जो उलझ जाता है, वह अपना स्वरूप नहीं है। यह मेरा है' ऐसा माना जाता है, वही भूल करवाता है। प्रकृति को सिर्फ देखना ही है। 'अच्छी-बुरी' नहीं कहना है। प्रकृति लाख लेप चढ़ाने जाए, फिर भी खुद का परमात्मस्वरूप लेपायमान नहीं हो सकता। आत्मा की शुद्धता को जगत् का कोई भी प्रयोग अशुद्धि में परिणामित कर ही नहीं सकता और वही अपना खुद का स्वरूप है! प्रकृति का हिसाब चुकाने के लिए 'हमें कुछ भी नहीं करना है। वे हिसाब तो अपने आप ही पूरे होते रहेंगे। 'हमें' तो 'देखते रहना' है कि कितना हिसाब बाकी रहा! प्रकृति की सभी कमियाँ अपने आप ही पूरी हो जाएँगी, 'खुद' यदि दख़ल नहीं करे, तो! प्रकृति खुद की कमी खुद ही पूरी कर देती है। उसमें 'मैं कर रहा हूँ' कहता है, इसलिए डखो (दख़ल, हस्तक्षेप) हो जाती है। यह 'अक्रम विज्ञान' पूरी दुनिया के सायक्लोन को खत्म कर दे, वैसा है, परंतु यदि हम लोग उसमें स्थिर रहें तो! - डॉ. नीरूबहन अमीन 21
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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