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________________ आप्तवाणी-६ हैं। अनंत शक्तियाँ उसी के कारण नहीं दिखतीं । शक्तियाँ अनंत है, परंतु घर्षण के कारण सभी खत्म हो गई हैं! भगवान महावीर का एक भी घर्षण नहीं हुआ था। जन्म हुआ तब से लेकर ठेठ तक ! और अपने तो पचास हज़ार, लाख होने चाहिए, उसके बदले करोड़ों होते हैं, उसका क्या? अरे ! दिन में भी बीस-पच्चीस बार तो होता ही है । यों ही ज़रा आँख ऊँची हो जाए कि घर्षण, दूसरों पर कुछ उल्टा भाव हुआ, वह सब घर्षण! इस दीवार के साथ घर्षण हो जाए तो क्या होगा? १०० प्रश्नकर्ता : सिर फूट जाएगा। दादाश्री : वह तो जड़ है ! और यह तो चेतनवालों के साथ घर्षण है, फिर क्या होगा? घर्षण ही सिर्फ नहीं हो, तो मनुष्य मोक्ष में जाए। कोई सीख गया कि मुझे घर्षण में आना ही नहीं है, तो फिर उसे बीच में गुरु की या किसी की भी ज़रूरत नहीं है। एक-दो जन्मों में सीधा मोक्ष में जाएगा। ‘घर्षण में आना ही नहीं है' ऐसा यदि उसकी श्रद्धा में आ गया और निश्चित ही कर लिया, तो तब से ही समकित हो गया ! इसलिए यदि कभी किसी को समकित करना हो तो हम गारन्टी देते हैं कि जाओ, घर्षण नहीं करने का निश्चय करो, तब से ही समकित हो जाएगा ! प्रश्नकर्ता : घर्षण और संघर्षण से मन और बुद्धि पर घाव लगते हैं? दादाश्री : अरे ! मन पर, बुद्धि पर तो क्या, पूरे अंत:करण पर घाव लगते रहते हैं और उसका असर शरीर पर भी पड़ता है ! यानी घर्षण से तो कितनी सारी मुश्किलें हैं ! प्रश्नकर्ता : घर्षण नहीं होता हो, तो उसे सच्चा अहिंसक भाव पैदा हुआ माना जाएगा ? दादाश्री : नहीं, ऐसा कुछ नहीं! परंतु इन दादा के पास से जाना कि इस दीवार के साथ घर्षण करने में इतना 'फायदा' है, तो भगवान के साथ घर्षण करने में कितना 'फायदा'? इतना जानने से ही परिवर्तन होता रहेगा ! अहिंसा तो पूरी तरह से समझ में आए, ऐसी नहीं है, और पूरी तरह
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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