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________________ आप्तवाणी-६ नौकर कप-प्लेट फोड़ दे तो अंदर संघर्षण हो जाता है। उसका क्या कारण है? भान नहीं है, जागृति नहीं है कि मेरा कौन सा और पराया कौन सा? पराये का, मैं चलाता हूँ या और कोई चलाता है? यह जो आपको ऐसा लगता है कि 'मैं चलाता हूँ', तो उसमें से आप कुछ भी नहीं चलाते हो। वह तो आप सिर्फ मान बैठे हो। आपको जो चलाना है उसकी आपको खबर ही नहीं है। पुरुष बन जाएँ, तब फिर पुरुषार्थ हो सकता है। पुरुष ही नहीं बने, तब तक पुरुषार्थ किस तरह से हो सकेगा? ___ व्यवहार शुद्ध करने के लिए क्या चाहिए? कोमनसेन्स कम्पलीट चाहिए। स्थिरता-गंभीरता चाहिए। व्यवहार में कोमनसेन्स की ज़रूरत है। कोमनसेन्स अर्थात् एवरीव्हेर एप्लीकेबल। स्वरूपज्ञान के साथ कोमनसेन्स हो तो बहुत दीपायमान होगा। प्रश्नकर्ता : कोमनसेन्स किस तरह प्रकट होता है? दादाश्री : कोई खुद से टकराए, लेकिन खुद किसी से नहीं टकराए, इस तरह से रहे, तो कोमनसेन्स उत्पन्न होता है। लेकिन खुद को किसी से टकराना नहीं चाहिए, नहीं तो कोमनसेन्स चला जाएगा! घर्षण खुद की तरफ़ से नहीं होना चाहिए। सामनेवाले के घर्षण से कोमनसेन्स उत्पन्न होता है। यह आत्मा की शक्ति ऐसी है कि घर्षण के समय कैसा बर्ताव करना, उसका सब उपाय बता देती है और एक बार बता दे, फिर वह ज्ञान जाता नहीं है। ऐसे करतेकरते कोमनसेन्स इकट्ठा होता है। ___ अपना विज्ञान प्राप्त करने के बाद व्यक्ति इस तरह से रह सकता है। या फिर सामान्य जनता में कोई व्यक्ति इस तरह से रह सके, ऐसे पुण्यशाली लोग होते हैं! परंतु वे तो कुछ ही बाबत पर इस तरह से रह सकते हैं, हरएक बाबत में नहीं रह सकते! सारी आत्मशक्ति यदि कभी खत्म होती हो तो वह घर्षण से। संघर्ष
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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