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दादा भगवान प्ररूपित
आप्तवाणी
श्रेणी - ५
समर्पण
दादा की आप्तवाणी करूँ समर्पण, आंतरशत्रुओं का बना यह दर्पण. अविरत वेदीं आधि-व्याधि-उपाधि, आप्तवाणी के शब्दों से प्राप्त समाधि. दादा के विश्वकल्याण की राह में, वाणी प्रकटाए दीपक हर घट में.