SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका खंड-1 आत्म विज्ञान [१] 'मैं' कौन हूँ? दुनिया में जानने जैसा, मात्र... १ 'ज्ञानीपुरुष' तो, बेजोड़ ही! १० आत्मा को जानें, किस तरह? २ सामान्य ज्ञान:विशेष ज्ञान ११ ज्ञान की प्राप्ति, 'ज्ञानी' के... ३ अनुभवी को,पहचानें किस तरह? ११ दृष्टि बदले, तभी काम होता है ५ अनुभव होता है, तब तो... १३ संसार व्यवहार कैसा... ६ जो साक्षात् हुआ, वही 'ज्ञान' १४ ...और आत्मव्यवहार कैसा! ७ 'ज्ञान', अनादि से वही प्रकाश १५ मुक्ति, मुक्ति का ज्ञान होने... ७ सत्-असत् का विवेक, ज्ञानी... १६ आत्मा का स्वरूप, 'ज्ञान' ही ७ आत्मानुभव किसे हुआ? प्रत्यक्ष के बिना बंधन नहीं टूटते ८ विचार करके आत्मा जाना जा... १७ कहा क्या? और समझे क्या? ९ 'आत्मा', स्वरूप ही ग़ज़ब का १८ भ्रांतिरहित ज्ञान, जानने जैसा है ९ संसार, समसरण मार्ग के संयोग १९ विभ्रांत दशा! लेकिन किसकी? १० 'प्रयोगी' अलग! प्रयोग अलग! २० [२] अज्ञाशक्ति : प्रज्ञाशक्ति बंधन, अज्ञा सेः मुक्ति प्रज्ञा से २१ अज्ञ, स्थितप्रज्ञ, प्रज्ञा-भेद क्या? २२ [३] पुद्गल, तत्व के रूप में पुद्गल की गुणशक्ति कौन-सी? २४ इसमें आत्मा का कर्तापन है? ३१ करामात सारी पुद्गल की ही २५ 'डिस्चार्ज' परसत्ता के अधीन ३१ परमाणुओं की अवस्था, कौन २६ विभाविक पुद्गल से जग ऐसा... ३३ कौन-सी परमाणुओं की सूक्ष्मता, कितनी? ! ३४ परमाणु:असर अलग,कषाय अलग २७ पुद्गल, तत्वस्वरूप से अविनाशी ३४ फर्स्ट गलन, सेकन्ड गलन २७ पुद्गल भाव,वियोगी स्वभाव के ३५ पुद्गल का पारिणामिक स्वरूप २८ ज्ञानी के बिना, यह समझ में... ३५ पुद्गल, परमाणु के रूप में... २८ ...उसमें तन्मयाकार हुए तो... ३५ [४] स्वसत्ता-परसत्ता खुद की सत्ता कितनी होगी?! ३७ परसत्ता को जानना, वहाँ पर... ३९ सत्ता, पुण्य से प्राप्त... ३७ वाह ! ज्ञानी ने स्वसत्ता किसे... ४० ...लेकिन वह सारी परसत्ता ३८ ज्ञानी के माध्यम से, स्वसत्ता... ४० 43
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy