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________________ २७२ आप्तवाणी-३ जानवर कैसे हैं? अस्पताल नहीं चाहिए, कोर्ट नहीं चाहिए, वे लोग झगड़े कैसे सुलझा देते हैं? दो साँड लड़ते हैं, बहुत लड़ते हैं, लेकिन अलग होने के बाद वे क्या कोर्ट ढूँढने जाते हैं? दूसरे दिन देखें तो आराम से दोनों घूम रहे होते हैं ! और इन मूों के कोर्ट होते हैं, अस्पताल होते हैं, तब भी वे दु:खी, दु:खी और दु:खी! ये लोग रोज़ अपना रोना रोते हैं, इन्हें अकर्मी कहें या सकर्मी कहें? ये चिड़िया, कबूतर, कुत्ते सब कितने सुंदर दिखते हैं ! वे क्या सर्दी में वसाणुं (जड़ी-बूटी डालकर बनाई गई मिठाई) खाते होंगे? और ये मूर्ख वसाणुं खाकर भी सुंदर नहीं दिखते, बदसूरत दिखते हैं। इस अहंकार के कारण सुंदर व्यक्ति भी बदसूरत दिखता है। इसीलिए कोई भूल रह जाती है, ऐसा विचार नहीं करना चाहिए? ....फिर भी कुदरत, सदा मदद में रही प्रश्नकर्ता : शुभ रास्ते पर जाने के विचार आते हैं, लेकिन वे टिकते नहीं और फिर अशुभ विचार आते हैं, वे क्या हैं? दादाश्री : विचार क्या हैं? आगे जाना हो, तो भी विचार काम करते हैं और पीछे जाना हो तो भी विचार काम करते हैं। खुदा की तरफ जाने के रास्ते पर आगे जाते हो और वापस मुड़ते हो, उसके जैसा होता है। एक मील आगे जाओ और एक मील पीछे जाओ, एक मील आगे जाओ और वापस मोड़ो... एक ही तरह के विचार रखना अच्छा। पीछे जाना है मतलब पीछे जाना और आगे जाना है मतलब आगे जाना। आगे जाना हो उसे भी कुदरत 'हेल्प' करती है और पीछे जाना हो उसे भी कुदरत 'हेल्प' करती है। 'नेचर' क्या कहता है? 'आई विल हेल्प यू'। तुझे जो काम करना हो, चोरी करनी हो तो 'आई विल हेल्प यू'। कुदरत की तो बहुत बड़ी 'हेल्प' है, कुदरत की 'हेल्प' से तो यह सब चलता है! लेकिन तु निश्चित नहीं करता कि मुझे क्या करना है? यदि तू निश्चित करे तो कुदरत तुझे 'हेल्प' करने के लिए तैयार ही है। 'फर्स्ट डिसाइड' कि मुझे इतना करना है, फिर उसे निश्चयपूर्वक सुबह में पहले याद करना चाहिए। आपके निश्चय के प्रति आपको 'सिन्सियर' रहना चाहिए, तो कुदरत आपके पक्ष में 'हेल्प' करेगी। आप कुदरत के 'गेस्ट' हो।
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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