SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 296
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आप्तवाणी - ३ तक सिगड़ी सुलगती ही रहेगी। शादी में भी बेटी का ब्याह करवा रहे हों तब भी अंदर सुलग रहा होता है ! निरंतर संताप रहा करता है । संसार यानी क्या? जंजाल। यह देह लिपटा हुआ है, वह भी जंजाल है ! जंजाल को तो भला शौक होता होगा? उसका शौक होता है, वह भी आश्चर्य है न ! मछली पकड़ने का जाल अलग और यह जाल अलग! मछली के जाल में से काट-कूटकर निकला भी जा सकता है, लेकिन इसमें से निकला ही नहीं जा सकता । ठेठ अर्थी निकलती है तब निकला जाता है। ...उसे तो 'लटकती सलाम !' २४७ इसमें सुख नहीं, वह समझना तो पड़ेगा न ? भाई अपमान करें, मेमसाहब भी अपमान करें, बच्चे अपमान करें ! यह तो सारा नाटकीय व्यवहार है, बाकी इनमें से कोई साथ में थोड़े ही आनेवाला हैं? आप खुद शुद्धात्मा और यह सारा व्यवहार उपलक है यानी कि सुपरफ्लुअस रहना है। खुद 'होम डिपार्टमेन्ट' में रहना है और 'फॉरिन' में 'सुपरफ्लुअस' रहना है । 'सुपरफ्लुअस' यानी तन्मयाकार वृत्ति नहीं, ड्रामेटिक, वह। सिर्फ यह ' ड्रामा' ही करना है । 'ड्रामा' में नुकसान हुआ तब भी हँसना और नफा हुआ तब भी हँसना । 'ड्रामा' में दिखावा भी करना पड़ता है, नुकसान हुआ हो तो उसका दिखावा करना पड़ता है। मुँह पर बोलते भी हैं कि बहुत नुकसान हुआ, लेकिन भीतर तन्मयाकार नहीं हों । हमें ‘लटकती सलाम' रखनी है । कई लोग नहीं कहते कि भाई, मुझे तो इसके साथ ‘लटकती सलाम' जैसा संबंध है । उसी तरह सारे जगत् के साथ रहना है। जिसे ‘लटकती सलाम' पूरे जगत् के साथ आ गई, वह ज्ञानी हो गया। इस देह के साथ भी 'लटकती सलाम'! हम निरंतर सभी के साथ 'लटकती सलाम' रखते हैं, फिर भी सब कहते हैं कि, 'आप हम पर बहुत अच्छा भाव रखते हैं।' मैं व्यवहार सभी करता हूँ लेकिन आत्मा में रहकर। प्रश्नकर्ता : बहुत बार बड़ा लड़ाई-झगड़ा घर में हो जाता है। तब क्या करें? दादाश्री : समझदार मनुष्य हो न तो लाख रुपये दें तब भी लड़ाईझगड़ा नहीं करे, और यह तो बिना पैसे लड़ाई-झगड़ा करता है, तो वह
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy