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आप्तवाणी-३
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हैं। हमें ऐसा लगता है कि ये दोनों बाहर निकलकर मारामारी करेंगे, परंतु बाहर निकलने के बाद देखें तो दोनों साथ में बैठकर आराम से चाय पी रहे होते हैं!
प्रश्नकर्ता : वह ड्रामेटिक लड़ना कहलाएगा न?
दादाश्री : ना। वह तोतामस्ती कहलाती है। ड्रामेटिक तो 'ज्ञानीपुरुष' के अलावा किसीको आता नहीं है। तोते मस्ती करते हैं तो हम घबरा जाते हैं कि ये अभी मर जाएँगे, लेकिन नहीं मरते। वे तो यों ही चोंच मारा करते हैं। किसीको लगे नहीं ऐसे चोंच मारते हैं।
हम वाणी को रिकार्ड कहते हैं न? रिकार्ड बजा करती हो कि चंदू में अक्ल नहीं, चंदू में अक्ल नहीं। तब आप भी गाने लगना कि चंदू में अक्ल नहीं है।
__ममता के पेच खोलें किस तरह? पूरे दिन काम करते-करते भी पति के प्रतिक्रमण करते रहना चाहिए। एक दिन में छह महीने का बैर धुल जाएगा और आधा दिन हो तो मानो न तीन महीने तो कम हो जाएँगे। शादी से पहले पति के साथ ममता थी? ना। तो ममता कब से बंधी? शादी के समय मंडप में आमनेसामने बैठे, तब उसने निश्चित किया कि ये मेरे पति आए। ज़रा मोटे हैं,
और काले हैं। इसके बाद उसने भी निश्चित किया कि ये मेरी पत्नी आई। तब से 'मेरा-मेरा' के जो पेच घुमाए, वे चक्कर घूमते ही रहते हैं। पंद्रह वर्षों की यह फिल्म है, उसे 'नहीं हैं मेरे, नहीं हैं मेरे' करोगी तब वे पेच खुलेंगे और ममता टूटेगी। यह तो शादी हुई तब से अभिप्राय खड़े हुए, प्रेजडिस खड़ा हुआ कि 'ये ऐसे हैं, वैसे हैं।' उससे पहले कुछ था? अब तो आपको मन में निश्चित करना है कि, 'जो है, वो यही है।' और आप खुद पसंद करके लाए हैं। अब क्या पति बदला जा सकता है?
सभी जगह फँसाव! कहाँ जाएँ? जिसका कोई रास्ता नहीं उसे क्या कहा जाए? जिसका रास्ता नहीं हो उसके पीछे रोना-धोना नहीं करते। यह अनिवार्य जगत् है। घर में पत्नी