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आप्तवाणी-३
नहीं आए, व्यवहार नहीं आए, तब अहंकार सहित टकोर होती है। इसलिए बाद में उसका प्रतिक्रमण करना चाहिए। आप सामनेवाले को टोको तब सामनेवाले को बुरा तो लगेगा, परंतु उसका प्रतिक्रमण करते रहोगे तब फिर छह महीने, बारह महीने में वाणी ऐसी निकलेगी कि सामनेवाले को मीठी लगेगी। अभी तो टेस्टेड वाणी चाहिए, अन्टेस्टेड वाणी बोलने का अधिकार नहीं है। इस तरह से प्रतिक्रमण करोगे तो चाहे कैसा भी होगा, फिर भी सीधा हो जाएगा।
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यह अबोला तो बोझा बढ़ाए
प्रश्नकर्ता : अबोला रखकर, बात को टालने से उसका निकाल हो सकता है?
दादाश्री : नहीं हो सकता। आपको तो सामनेवाला मिले तो 'कैसे हो, कैसे नहीं', ऐसा कहना चाहिए। सामनेवाला ज़रा शोर मचाए तो आपको ज़रा धीरे रहकर समभाव से निकाल करना चाहिए । उसका निकाल तो करना ही पड़ेगा न, कभी न कभी? बोलना बंद करोगे उससे क्या निकाल हो गया? उससे निकाल नहीं होता है, इसीलिए तो अबोला खड़ा होता है। अबोला मतलब बोझा, जिसका निकाल नहीं हुआ उसका बोझा । तुरंत उसे खड़ा रखकर कहना चाहिए, 'खड़े रहो न, मेरी कोई भूल हो तो मुझे कहो। मेरी बहुत भूलें होती हैं। आप तो बहुत होशियार, पढ़े-लिखे, इसलिए आपकी नहीं होतीं, लेकिन मैं पढ़ा-लिखा कम हूँ इसलिए मेरी बहुत भूलें होती हैं।' ऐसा कहने पर वह खुश हो जाएगा।
प्रश्नकर्ता : ऐसा करने से वह नरम नहीं पड़े तो क्या करें?
दादाश्री : नरम नहीं पड़ें तो आपको क्या करना है? आपको तो कहकर छूट जाना है, फिर क्या उपाय? कभी न कभी किसी दिन नरम पड़ेगा। डाँटकर नरम करो तो वह उससे कुछ नरम होगा नहीं । आज नरम दिखेगा, लेकिन वह मन में नोंध रख छोड़ेगा और जब आप नरम होंगे उस दिन वह सब वापस निकालेगा। यानी जगत् बैरवाला है। नियम ऐसा है कि बैर रखे, अंदर परमाणु संग्रह करके रखे, इसलिए आपको पूरा केस ही हल कर देना है।