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________________ २३४ आप्तवाणी-३ दादाश्री : 'ओहोहो! आपने इस बच्चो को क्यों फेंका? क्या कारण है उसका?' तब वह कहे कि, 'जान-बूझकर मैं कोई थोड़े फेंकूँगा? वह तो मेरे हाथ में से छटक गया और गिर पड़ा।' प्रश्नकर्ता : वह तो, उसने गलत बोला न? दादाश्री : वे झूठ बोले, वह आपको नहीं देखना है। झूठ बोलें या सच बोलें वह उसके अधीन है, वह आपके अधीन नहीं है। वह उसकी मरज़ी में आए ऐसा करें। उसे झूठ बोलना हो या आपको खत्म करना हो, वह उसके ताबे में है। रात को आपकी मटकी में जहर डाल दे तो आप तो खत्म ही हो जाओगी न! इसलिए जो हमारे ताबे में नहीं है वह हमें नहीं देखना है। सम्यक् कहना आए तो काम का है कि भाई इससे आपको क्या फायदा हुआ? तो वह अपने आप कबूल करेगा। सम्यक् कहना आता नहीं और आप पाँच सेर का दोगे तो वह दस सेर का देगा! प्रश्नकर्ता : कहना नहीं आए तो फिर क्या करना चाहिए? चुप बैठना चाहिए? दादाश्री : मौन रहो और देखती रहो कि क्या हो रहा है? सिनेमा में बच्चों को पटकते हैं, तब क्या करती हो आप? कहने का अधिकार है सबका, लेकिन कलह नहीं बढ़े उस तरह से कहने का अधिकार है। बाकी, जो कहने से कलह बढ़े वह तो मूर्ख का काम है। ___टकोर, अहंकारपूर्वक नहीं करते प्रश्नकर्ता : व्यवहार में कोई गलत कर रहा हो उसे टकोर तो करनी पड़ती है। उससे उसे दुःख होता है, तो किस तरह उसका निकाल करें? दादाश्री : व्यवहार में टकोर करनी पड़ती है, परंतु उसमें अहंकार सहित होता है, इसलिए उसका प्रतिक्रमण करना चाहिए। प्रश्नकर्ता : टकोर नहीं करें तो वह सिर पर चढ़ता है? दादाश्री : टोकना तो पड़ता है, लेकिन कहना आना चाहिए। कहना
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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