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________________ आप्तवाणी-३ तो लोग थोड़ा भाव भी ज़्यादा दे देते हैं । उसी प्रकार आपको स्त्री के साथ डीलिंग करते आना चाहिए । २१४ स्त्री को तो एक आँख से देवी की तरह देखो और दूसरी आँख से उसका स्त्री चरित्र देखो। एक आँख में प्रेम और दूसरी आँख में कड़काई रखो, तभी बेलेन्स रह पाएगा। अकेली देवी की तरह देखोगे और आरती उतारोगे तो वह उलटी पटरी पर चढ़ जाएगी, इसलिए बेलेन्स में रखना । 'व्यवहार' को 'इस' तरह से समझने जैसा है पुरुष को स्त्री की बात में हाथ नहीं डालना चाहिए और स्त्री को पुरुष की बात में हाथ नहीं डालना चाहिए । हरएक को अपने-अपने डिपार्टमेन्ट में ही रहना चाहिए ।। प्रश्नकर्ता : स्त्री का डिपार्टमेन्ट कौन - सा ? किस-किसमें पुरुषों को हाथ नहीं डालना चाहिए? दादाश्री : ऐसा है, खाने का क्या करना, घर कैसे चलाना, वह सब स्त्री का डिपार्टमेन्ट है। गेहूँ कहाँ से लाती है, कहाँ से नहीं लाती आपको वह जानने की क्या ज़रूरत है? वह यदि आप से कहती हों कि गेहूँ लाने में मुझे अड़चन पड़ रही है तो वह बात अलग है । परंतु यदि वह आपको कहती न हों, राशन बताती नहीं हों, तो आपको उस डिपार्टमेन्ट में हाथ डालने की ज़रूरत ही क्या है? आज दूधपाक बनाना, आज जलेबी बनाना, आपको वह भी कहने की ज़रूरत क्या है? टाइम आएगा तब वह रखेगी। उनका डिपार्टमेन्ट, वह उनका स्वतंत्र है । कभी बहुत इच्छा हुई हो तो कहना कि, 'आज लड्डू बनाना ।' कहने के लिए मना नहीं करता परंतु दूसरी टेढ़ा-मेढ़ा, बेकार का शोर मचाएँ कि कढ़ी खारी हो गई, खारी हो गई, तो सब नासमझी है। I यह रेलवेलाइन चलती है, उसमें कितनी सारी कार्यवाही होती है ! कितनी जगहों से टिप्पणी आती हैं, खबरें आती हैं, उनका पूरा डिपार्टमेन्ट ही अलग। अब उसमें भी खामी तो आती ही है न? वैसे ही वाइफ के डिपार्टमेन्ट में कभी खामी आ भी जाए। अब आप यदि उनकी खामी निकालने जाएँ तो फिर वे आपकी खामी निकालेंगी, आप ऐसा नहीं करते,
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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