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________________ १९८ आप्तवाणी-३ कोई स्त्री और पुरुष दोनों खूब झगड़ रहे हों और फिर उन दोनों के सो जाने के बाद चुपचाप देखने जाओ तो वह स्त्री तो गहरी नींद सो रही होती है और पुरुष ऐसे इधर-उधर करवटें बदल रहा होता है तो समझ जाना कि 'इस पुरुष की ही भूल है सारी, यह स्त्री नहीं भुगत रही।' जिसकी भूल हो वही भुगतता है। और उस घडी यदि पुरुष सो रहा हो और स्त्री जाग रही हो तो समझना कि स्त्री की भूल है। 'भुगते उसकी भूल।' यह विज्ञान तो बहुत बड़ा साइन्स है। मैं जो कहता हूँ, वह बहुत सूक्ष्म साइन्स है। जगत् सारा निमित्त को ही काटने दौड़ता है। मियाँ-बीवी बहुत बड़ा, विशाल जगत् है, परंतु यह जगत् खुद के रूम के अंदर है इतना ही मान लिया है और वहाँ भी यदि जगत् मान रहा होता तो अच्छा था। लेकिन वहाँ भी वाइफ के साथ लट्ठबाज़ी करता है! अरे! यह नहीं है तेरा पाकिस्तान! पत्नी और पति दोनों पड़ोसी के साथ लड़ रहे हों, तब दोनों एकमत और एकजुट होते हैं। पड़ोसी को कहते हैं कि 'आप ऐसे और आप वैसे।' हम समझें कि यह मियाँ-बीवी की टोली अभेद टोली है, नमस्कार करने जैसी है। फिर घर में जाएँ तो बहन से ज़रा चाय में चीनी कम पड़ी हो, तब फिर वह कहेगा कि मैं तुझे रोज़ कहता हूँ कि चाय में चीनी ज़रा ज़्यादा डाल। लेकिन तेरा दिमाग़ ठिकाने नहीं रहता। यह दिमाग़ के ठिकानेवाला घनचक्कर! तेरे ही दिमाग़ का ठिकाना नहीं है न! अरे, किस तरह का है तू? रोज़ जिसके साथ सौदेबाज़ी करनी होती है, वहाँ कलह करनी चाहिए? आपका किसी के साथ मतभेद होता है? प्रश्नकर्ता : हाँ, होता है बहुत बार। दादाश्री : वाइफ के साथ मतभेद होता है? प्रश्नकर्ता : हाँ, बहुत बार होता है। दादाश्री : वाइफ के साथ भी मतभेद होता है? वहाँ भी एकता न
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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