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________________ आप्तवाणी-३ हमने इस संसार की बहुत सूक्ष्म खोज की है। अंतिम प्रकार की खोज करके हम ये सब बातें कर रहे हैं । व्यवहार में किस तरह रहना चाहिए, वह भी देते हैं और मोक्ष में किस तरह जा सकते हैं, वह भी देते हैं। आपकी अड़चनें किस तरह से कम हों, वही हमारा हेतु है। घर में चलण छोड़ना तो पड़ेगा न? १९२ I I घर में आपको अपना चलण ( वर्चस्व, सत्ता ) नहीं रखना चाहिए, जो व्यक्ति चलण रखता है उसे भटकना पड़ता है । हमने भी हीराबा से कह दिया था कि ‘हम खोटा सिक्का हैं । हमें भटकना नहीं पुसाता न !' नहीं चलनेवाला सिक्का हो उसका क्या करते हैं? उसे भगवान के पास बैठे रहना होता है। घर में आपका चलण चलाने जाओगे, तो टकराव होगा न? अब तो समभाव से निकाल करना है । घर में पत्नी के साथ 'फ्रेन्ड' की तरह रहना चाहिए। वे आपकी 'फ्रेन्ड' और आप उनके 'फ्रेन्ड' । और यहाँ कोई नोंध (अत्यंत राग अथवा द्वेष सहित लम्बे समय तक याद रखना, नोट करना) नहीं करता कि चलण तेरा था या उनका था । म्युनिसिपालिटी में नोट नहीं करते और भगवान के वहाँ भी नोट नहीं होता । आपको नाश्ते से लेना-देना है या चलण से? इसलिए किस रास्ते नाश्ता अच्छा मिलेगा वह ढूँढ निकालो। यदि म्युनिसिपालिटीवाले नोट करके रखते कि घर में किसका चलण है, तो मैं भी एडजस्ट नहीं होता । यह तो कोई बाप भी नोट नहीं करता। I आपके पैर दुःखते हों और बीवी पैर दबा रही हो, उस समय कोई आए और यह देखकर कहे कि ओहोहो ! आपका तो घर में चलण बहुत अच्छा है। तब आप कहना कि, 'ना, चलण उनका ही है ।' और यदि आप कहो कि हाँ, हमारा ही चलण है, तो वह पैर दबाना छोड़ देगी । उससे बेहतर तो आप कहना कि 'ना, उनका ही चलण है । ' प्रश्नकर्ता : उसे मक्खन लगाना नहीं कहेंगे? दादाश्री : ना, वह स्ट्रेट वे कहलाता है, और दूसरे सब टेढ़े-मेढ़े रास्ते कहलाते हैं। इस दूषमकाल में सुखी होने का, मैं कहता हूँ वह, रास्ता है। मैं इस काल के लिए कह रहा हूँ। आप अपना नाश्ता क्यों बिगाड़ें? अलग
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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