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आप्तवाणी-३
कहाँ से ले आया? इससे तो, एडजस्ट हो जाना कि इतनी अच्छी टोपी? कहाँ से लाया? कितने की आई? बहुत सस्ती मिली? ऐसे एडजस्ट हो जाना।
ये बच्चे सारा दिन कान पर रेडियो लगाकर नहीं रखते? क्योंकि यह रस नया-नया उदय में आया है बेचारे को! यह उसका नया डेवेलपमेन्ट है। यदि डेवेलप हो गया होता, तो कान पर रेडियो लगाता ही नहीं। एकबार देख लेने के बाद वापस छुआता ही नहीं। नवीन वस्तु को एक बार देखना होता है, उसका हमेशा के लिए अनुभव नहीं लेना होता। यह तो कान की नयी ही इन्द्रिय आई है, इसलिए सारा दिन रेडियो सुनता रहता है! मनुष्यपन की उसकी शुरूआत हो रही है। मनुष्यपन में हज़ारों बार आया हुआ मनुष्य ऐसा-वैसा नहीं करते।
प्रश्नकर्ता : बच्चों को घूमने-फिरने का बहुत होता है।
दादाश्री : बच्चे कोई आप से बँधे हुए नहीं हैं। सब अपने-अपने बंधन में हैं, आपको तो इतना ही कहना है कि 'जल्दी आना।' फिर जब आएँ तब 'व्यवस्थित'। व्यवहार सब करना, लेकिन कषाय रहित करना। व्यवहार कषाय रहित हुआ तो मोक्ष, और कषाय सहित व्यवहार-वह संसार।
प्रश्नकर्ता : हमारा भतीजा रोज़ नौ बजे उठता है, कुछ काम नहीं हो पाता।
दादाश्री : हम उसे ओढाकर कहें कि आराम से सो जा भाई। उसकी प्रकृति अलग है, इसलिए देर से उठता है और काम अधिक करता है। और कोई मूर्ख चार बजे से उठ गया हो, फिर भी कुछ नहीं करता। मैं भी हरएक काम में हमेशा लेट होता था। स्कूल में घंटी बजने के बाद ही घर से बाहर निकलता। और हमेशा मास्टरजी की डाँट सुनता था। अब मास्टरजी को क्या पता कि मेरी प्रकृति (स्वभाव) क्या है? हरएक का 'रस्टन' अलग और 'पिस्टन' अलग-अलग होता है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन देर से उठने में डिसिप्लिन नहीं रहता है न? दादाश्री : यह देर से उठता है इसीलिए आप कलह करो, वही