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________________ [४] फैमिलि आर्गेनाइजेशन यह तो कैसी 'लाइफ' ?! 'फैमिलि आर्गेनाइज़ेशन' का ज्ञान है आपके पास? हमारे हिन्दुस्तान में 'हाउ टु ऑर्गेनाइज़ फैमिलि' वह ज्ञान ही कम है। फॉरिनवाले तो फैमिलि जैसा कुछ समझते ही नहीं। वे तो जैसे ही जेम्स बीस साल का हुआ, तब उसके माँ-बाप विलियम और मेरी, जेम्स से कहेंगे कि 'तू अलग और हम दो तोता-मैना अलग!' उन्हें फैमिलि आर्गेनाइज़ करने की बहुत आदत ही नहीं न? और उनकी फैमिलि में तो साफ-साफ ही कह देती है। मेरी के साथ विलियम को नहीं जमा, तब फिर डायवोर्स की ही बात! और हमारे यहाँ तो कहाँ डायवोर्स की बात? अपने यहाँ तो साथ-साथ ही रहना है, कलह करना और वापस सोना भी वहीं पर, उसी रूम में ही! यह जीवन जीने का रास्ता नहीं है। यह फैमिलि लाइफ नहीं कहलाती। अरे! अपने यहाँ की बुढ़ियाओं से जीवन जीने का तरीक़ा पूछा होता तो कहतीं कि आराम से खाओ-पीओ, जल्दबाज़ी क्यों करते हो? इन्सान को किस चीज़ की नेसेसिटी है, उसकी पहले जाँच करनी चाहिए। बाकी की सब अन्नेसेसिटी। वे अननेसेसिटी की वस्तुएँ मनुष्य को उलझाती हैं, फिर नींद की गोलियाँ खानी पड़ती हैं। ये घर में किसलिए लड़ाइयाँ होती हैं? बच्चों के साथ क्यों बोलाचाली हो जाती है? वह सब जानना तो पड़ेगा न? यदि लड़का सामने बोले और उसके लिए डॉक्टर को पूछे कि 'कुछ बताइए', लेकिन वह क्या दवाई बताएगा? उसकी ही पत्नी उसके सामने बोलती है न! यह तो सारी ज़िंदगी रूई का सर्वे करता है, कोई लौंग का सर्वे
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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