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________________ योगेश्वर श्री कृष्ण ३८१ भगवान को समझने में किसका नंबर लगेगा? कृष्ण भगवान जो कहना चाहते थे वे दो ही शब्दों में कहना चाहते थे, उसे तो, जो खुद कृष्ण बन चुका हो, वही समझ सकता है और कह सकता है, अन्य किसी का काम नहीं है। आज 'हम' खुद, कृष्ण आए हैं, तुझे तेरा जो काम निकालना हो वह निकाल ले। कृष्ण क्या कहना चाहते हैं? व्यक्ति मर जाए तब कहते हैं न कि, 'अंदर से चले गए।' वह क्या है? वह 'माल' है और यहाँ पड़ा रह जाता है, वह 'पैकिंग' है। इन चर्मचक्षुओं से दिखता है वह पैकिंग है और अंदर 'माल' है, मटीरियल है। देयर आर वेराइटीज़ ऑफ पैकिंग्स। कोई आम का पैकिंग, कोई गधे का पैकिंग, तो कोई मनुष्य का पैकिंग या स्त्री का पैकिंग है लेकिन अंदर माल शुद्ध है, एक सरीखा है सभी में। पैकिंग तो भले ही कैसा भी हो, सड़ा हुआ भी हो, लेकिन व्यापारी पैकिंग की जाँच नहीं करता, अंदर 'माल' ठीक है या नहीं, उतना देख लेता है। उसी तरह हमें भी अंदर के माल के दर्शन कर लेने हैं। कृष्ण भगवान कहते हैं, "अंदर जो 'माल' है वही मैं खुद हूँ, वे ही कृष्ण हैं, उन्हें पहचान तो निबेड़ा आएगा तेरा, बाकी लाख जन्म भी तू गीता के श्लोक गाएगा तो भी तेरा निबेड़ा नहीं आएगा!" पैकिंग और माल इन दो शब्दों में, कृष्ण भगवान जो कुछ कहना चाहते थे वह है और ये बुद्धिशाली लोग गीता का अर्थ करने जाते हैं, उसकी पुस्तकें निकालते हैं ! मूलतः तो इन लोगों को अर्थ करना ही नहीं आता और बड़े-बड़े विवेचन, टीकाएँ लिखकर अर्क निकालने गए हैं, लेकिन ये तो खुद के स्वच्छंद से अपना नाम फैलाने के लिए ही करते हैं! बाकी तो, दो ही शब्दों में कृष्ण भगवान का 'अंतरआशय' समा जाता है। बेटा यदि हॉस्टल में पढ़ रहा हो तब फादर उसे कड़े शब्दों में पत्र लिखते हैं, 'तू पढ़ता नहीं है और मेरे पैसे बिगाड़ रहा है, सिनेमा-नाटक देखता रहता है, कुछ भी नहीं करता है।' तब बेटा क्या करता है कि बाप का पत्र खुद के फ्रेन्ड को दिखाता है और कहता है कि, 'देख न, मेरे फादर कैसे हैं? जंगली हैं, लोभी हैं और क्रोधी हैं, कंजूस हैं।' लड़का ऐसा क्यों कहता है? क्योंकि उसे फादर की बात समझ में नहीं आती,
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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