SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 364
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चित्त ३२७ 'सेठ, कभी अच्छी तरह से भोजन करते हो? चित्त को ठिकाने रखकर भोजन करते हो? यह ब्लडप्रेशर किसलिए होता है? बगैर चित्त के खाते हो, इसलिए।' वे सेठ बेचारे द्रवित हो गए और मेरी गोदी में सिर रखकर कहने लगे, 'हाँ दादा, कभी भी चित्त को हाज़िर रखकर भोजन किया ही नहीं।' कृष्ण भगवान ने क्या कहा है, 'प्राप्त को भोग और अप्राप्त की चिंता मत करना।' यह भोजन की थाली सामने आए तो एकचित्त से उसे शांति से खा। यदि चित्त ठिकाने पर होगा तो स्वादिष्ट लगेगा और चित्त हाज़िर नहीं रहेगा तो बत्तीस प्रकार के पकवान भी नहीं भाएँगे। इस शरीर को इतनी सी खिचड़ी दी हो तो पूरी रात शांति रखे, समाधि रखे वैसा है। यह तो, शरीर यहाँ पर भोजन करता है और 'खुद' जाता है मिल में! इन मनुष्यों को फिर हार्टफेल हो जाता है, स्कूल में तो फेल नहीं होता था और यहाँ किस तरह फेल हो जाता है? ये जानवर जब खाते हैं, तब पता लगाना कि उनका चित्त बाहर कहीं जाता है या नहीं? कुत्तावुत्ता भी, खाते समय स्वाद लेकर पूँछ पटपटाता है! सभी जानवरों का चित्त, जब वे खाते हैं, तब खाने में ही होता है, और इन सेठों, वकीलों, डॉक्टरों का चित्त तो खाते समय एब्सेन्ट रहता है, इससे तो हार्टफेल और ब्लडप्रेशर हो जाता है। हार्टफेल और ब्लडप्रेशर तो एब्सेन्ट चित्त का परिणाम है। बगैर चित्त के खाता है, उससे अंदर की सभी नसें कड़क हो जाती हैं। इन डॉक्टरों का चित्त ऑपरेशन करते समय अन्य कहीं भटके तो मरीज़ की क्या दशा होगी? खाते समय भी भीतर कितने ही ऑपरेशन होते हैं, इसलिए भोजन करते समय, चित्त को प्रेज़ेन्ट रखकर खाओ। भोजन करते समय 'चित्त' की हाज़िरी लेनी चाहिए कि 'हाज़िर है क्या?' ऐसा समय भी आएगा कि डॉक्टरों का चित्त कहीं का कहीं भटकेगा। लेकिन ऑपरेशन के समय चित्त हाज़िर रहता है, उतना अच्छा है। यदि चित्त की हाज़िरी के बिना ऑपरेशन करेंगे तो उस मरीज़ के मरने के बाद, जल जाने के बाद अंदर से कैंची निकलेगी! इसीलिए तो डर के मारे डॉक्टर ऑपरेशन के समय चित्त को हाज़िर रखते हैं।
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy