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________________ बुद्धि और ज्ञान बुद्धि और ज्ञान में कोई फर्क है क्या? प्रश्नकर्ता : बुद्धि यानी जो प्रत्यक्ष सिद्ध की जा सके, ऐसी समझ और ज्ञान यानी बुद्धि से परे, जिसे सुपर-नॉलेज, पराविद्या कहते हैं। दादाश्री : उसकी डेफिनेशन (परिभासा) मैं बताता हूँ। पूरी दुनिया के सभी सब्जेक्ट्स में से दो-चार सब्जेक्ट्स जाने, उसे लोग नॉलेज कहते हैं, लेकिन पूरी दुनिया के सभी सब्जेक्ट्स को जाने, वह भी बुद्धि में समा जाता है, क्योंकि वह अहंकारी ज्ञान है। अहंकारी ज्ञान, वह बुद्धि है और निरअहंकारी ज्ञान, वह 'ज्ञान' है। बुद्धि, वह इनडाइरेक्ट प्रकाश है, उसकी आपको सिमिली +, सूर्यनारायण का डाइरेक्ट प्रकाश डाइरेक्ट ज्ञान जैसा है और दूसरा इनडाइरेक्ट प्रकाश, यदि सूर्यनारायण का प्रकाश दर्पण पर पड़े और वह रूम में प्रकाश दे, तो वह इनडाइरेक्ट प्रकाश है। आत्मा का जो डाइरेक्ट प्रकाश है वह ज्ञान है। बुद्धि का प्रकाश मीडियम के श्रू (माध्यम से) है, इनडाइरेक्ट है। आत्मा, वह स्व-पर प्रकाशक है और बुद्धि पर-प्रकाशक है। बुद्धि विकल्प करवाती है। संकल्प-विकल्प होते हैं क्या आपको? प्रश्नकर्ता : 'संकल्प-विकल्प' का एक्जेक्ट मीनिंग मुझे समझ में नहीं आता! दादाश्री : बाहर संकल्प-विकल्प किसे कहते हैं, वह पता है? अंदर जो अच्छे या खराब विचार आते हैं, उन्हें संकल्प-विकल्प कहा गया है। लेकिन यह बिना पहचाने की हुई बात है। मैं चंदूलाल हूँ' वह पहला विकल्प, 'मैं इसका पति हूँ' वह दूसरा विकल्प, 'मैं इसका बाप हूँ, वकील हूँ' वे सभी विकल्प हैं और 'यह देह, मोटर, बंगले मेरे हैं' वह संकल्प। 'मैं' और 'मेरा' वह क्रमशः विकल्प और संकल्प हैं।
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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