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________________ ब्लंडर्स और मिस्टेक्स लोभी की प्रकृति भूल को पहचानने .... दोष दिखने की जागृति निष्पक्षपाती दृष्टि दोषों का आधार शिकायत करनेवाला ही.. ब्रह्मांड का मालिक.... प्राकृत गुणों का मोह... मुक्त पुरुष ही छुड़वाएँ गुनहगारी पाप पुण्य... ग्रंथि-आदत, स्वभावमय लाल झंडी - ठहरो यथार्थ लौकिक धर्म कुदरती नियम : ' भुगते... जीवों की संपूर्ण स्वतंत्रता जगत् व्यवहार स्वरूप वाणी, सामनेवाले के... व्यवहार में 'न्याय'... निःशेष व्यवहार से हल - व्यवहारिक सुख-दुःख... जीवन तेली के बैल... दुःखों को न रोए वह... बहीखातों के हिसाब सत्सुख कब मिलता है ? कड़वा पीए, वह नीलकंठ १८२ दुःख, वह किसे कहा... १८४ सत्ता का उपयोग करे वह .. १९२ १९४ १९५ २०० कंटाला का स्वरूप ठाकुर जी की पूजा राग-द्वेष १४३ १४४ १४५ १४५ १४७ १४९ • १५१ १५२ १५४ १५५ • त्रिमंत्र विज्ञान १५६ ॐ की यथार्थ समझ १५७ २३३ १५६ • जगत् - पागलों का... हिन्दुस्तान २००५ में.... तिरस्कार वृत्ति ने न्योता ... २३४ अंग्रेज़ों का एक उपकार २३९ कुदरत में बुद्धि मत लगाओ२४३ मतभेद, मनभेद और... संयोग विज्ञान १५८ १६० १६५ १६७ १६९ • १७१ १७२ १७४ १७७ १७८ १७९ १८० पसंद-नापसंद में से राग-द्वेष२०४ द्वेष से त्याग किया हुआ.. २०५ जहाँ स्पर्धा वहाँ द्वेष २०५ जहाँ ज्ञान वहाँ वीतराग २०६ बैर २०७ संग असर २१० २११ २१४ २१८ 34 अभ्युदय और आनुषंगिक.. कुसंग, तो दुःख लाता है प्रकट ज्ञानी का सत्संग संयोग सुधारकर भेजो संयोगों में खुद कौन? तप, क्रिया और मुक्ति त्याग किसका करना है? त्याग में विषमता सच्चा त्यागी ! ज्ञानी की आज्ञा, वही... २२३ २२७ २२९ २५१ २५४ तप २५६ प्राप्त तप ही करने जैसा है २५७ २४५ २४७ त्याग यह तो कैसा त्याग? भावहिंसा जैसे भाव २६३ २६५ २६६ २६९ २६९ २७२ २७४ २७७ हम वैसे ही... २७८
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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