SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 253
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१६ आप्तवाणी-२ भगवान ने कहा था कि, 'जब तक 'ज्ञानीपुरुष' नहीं मिलते, तब तक तू जिस तालाब में पड़ा हो उसी तालाब में पड़ा रहना, और किसी तालाब में जाना ही मत। और किसी तालाब में तैरने जाएगा तो कीचड़ में घुसता जाएगा, और वापस उस ताबाल के कीचड़ के दाग़ लगेंगे। ज्ञानी मिलें तो उस तालाब में से जल्दी से बाहर निकल जाना। 'ज्ञानीपुरुष' मिल जाएँ तो सभी तालाबों का तू मालिक बन जाएगा और तेरा काम बन जाएगा, तुझे तालाब में से तार लेंगे। 'ज्ञानीपुरुष' के संग से ज्ञानी का 'पुट' चढ़ जाता है। यदि हींग का पुट किसी पतीले में लग जाए तो छह महीने के बाद भी उस पतीले में खीर पकाएँ तो वह बिगड़ जाती है। यदि हींग के पुट का असर छह महीने तक रहता हो तो यदि कुसंग का पुट चढ़े, तब तो आपके अनंत काल बिगाड़ डालेगा, ऐसा है। इसी तरह सत्संग का पुट भी उतना ही रहता है, लेकिन सत्संग ज्यादा समय तक मिलना चाहिए। यदि यह एक ही शब्द अंदर घुसा कि, 'अरे, यह दुनिया चलाने के लिए ऐसा तो करना ही चाहिए,' तो हो गया! संस्कार बिगड़े बिना रहेंगे ही नहीं। ये संस्कार तो कब बिगड़ जाएँ, वह कहा नहीं जा सकता। यह ज्ञान हो, तभी संस्कार टिकते हैं। कोई संतपुरुष हों जो दूध का व्यापार करते हों और पूरी जिंदगी संतपुरुष की तरह रहे हों और उन्हें कोई व्यक्ति मिल जाए और कहे, 'अरे देख तो सही, तेरा पड़ोसी कितना कमाता है और तू तो बिल्कुल ऐसा ही रहा।' तब संतपुरुष पूछता है, 'उसने किस तरह कमाया?' तब वह व्यक्ति जवाब देता है, 'दूध में पानी डालकर ही तो न,' और यह एक ही शब्द उसके अंदर उतर जाए तो बस हो चुका। इस एक ही शब्द से उसकी सारी जिंदगी के सभी संस्कारों पर पानी फिर जाता है। अपने को विषय में नहीं पड़ना हो तो भी लोग डाल देते हैं। यह तो संगदोष से है सारा, यदि अच्छा संग मिले तो कुछ भी नहीं होता। यह तो अच्छे संग से गुलाब मिलते हैं और कुसंग से काँटें मिलते हैं। कोई
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy