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________________ धर्मध्यान ११५ बोलने से बच्चा समझ गया, ऐसा नहीं कहा जा सकता। उसे तो यह समझाना चाहिए कि पोइजन क्या है। उसे समझाना चाहिए कि पोइज़न से इंसान मर जाता है। मर जाना क्या है, बच्चे वह नहीं समझते। इसलिए उसे वह भी समझाना पड़ता है कि परसों वे चाचा मर गए थे, वैसा हो जाता है। ऐसे सब तरह से विस्तार से समझाया जाए तो फिर बच्चा कभी भी पोइज़न की शीशी को नहीं छुएगा। वह अमल में आ ही जाएगा। जो अमल में नहीं आया, वह अज्ञान है। पूरी-पूरी समझ तो, पद्धति अनुसार सीखा ही नहीं। किसी के लिखे हुए सवाल नकल करके ले आए, उससे क्या करना आ गया? किसीने मेथेमेटिक्स के सवाल किए हों और नकल करके ले आए तो उससे क्या आ गया? यह सब नकली ज्ञान है। दरअसल ज्ञान नहीं है। वर्ना कोई गालियाँ दे और असर नहीं हो, खुद अपनी ही भूल है ऐसा खुद को लगता रहे और खुद प्रतिक्रमण करता रहे तो वह भगवान का सबसे बड़ा ज्ञान है! यही मोक्ष में ले जाएगा! इतना शब्द, हमारे एक ही वाक्य का यदि पालन करे न, तो मोक्ष में चला जाए! बाकी सबका क्या करना है? सामायिक तो समझते ही नहीं। सामायिक किसे कहना, वह भी नहीं जानते। सामायिक में, जो याद नहीं करना होता है, वही पहले याद आता है। खुद सामायिक करने बैठे और मन में निश्चित करे कि आज दुकान याद ही नहीं करनी है तो पहला धमाका दुकान का ही होता है! क्योंकि मन रिएक्शनवाला है। जिसके लिए आप मना करो, तो पहले अंदर धमाका होगा! और आप कहो कि आप सभी आना तो उस समय नहीं आते! आप यदि ऐसे कहो कि मैं सामायिक करूँ तब आप सब आना, तो उस घड़ी कोई नहीं आएगा! ऐसा है यह सारा अज्ञान। स्पंदन हुआ कि खत्म हो गया! आत्मा की अनंत शक्तियाँ हैं ! यदि हमारे सिर्फ इतने ही शब्द का पालन करे कि हमें कोई गालियाँ दे, ऐसे-वैसे दुःख दे, परेशान करे, वह सब मेरे कर्म के उदय से है, सामनेवाले का दोष नहीं है, सामनेवाला तो निमित्त है, ऐसा इतना ही यदि भान रहे न, तो तुझे सामनेवाला व्यक्ति निर्दोष दिखेगा! और इससे खुद
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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