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________________ सहज प्राकृत शक्ति देवियाँ को कैसा है कि पहले से ही निश्चित करके पैसे डालता है। रुपये का नोट निकले तो छुट्टा करवाकर दस पैसे डालता है! लक्ष्मी जी का स्वभाव प्रश्नकर्ता : यह जो लक्ष्मी कमाते हैं, वह कितनी मात्रा में कमानी चाहिए? दादाश्री : इसमें ऐसा कुछ नहीं है। रोज़ सुबह नहाना पड़ता है न? फिर भी कोई सोचता है कि एक ही लोटा पानी मिलेगा तो क्या करूँगा? उसी तरह लक्ष्मी का भी विचार नहीं आना चाहिए। डेढ़ बाल्टी मिलेगी, उतना निश्चित ही है। और दो लोटे वह भी निश्चित ही है, उसमें कोई कमज़्यादा नहीं कर सकता। इसलिए मन-वचन-काया से लक्ष्मी के लिए तु प्रयत्न करना, इच्छा मत करना। ये लक्ष्मी जी तो बैंक बेलेन्स है, बैंक में यदि वह जमा हुआ होगा तभी मिलेगा न? कोई लक्ष्मी जी की इच्छा करे तो लक्ष्मी जी कहती हैं कि, 'तुझे इस जुलाई में पैसे मिलनेवाले थे, वे अगली जुलाई में मिलेंगे,' और जो कहता है कि 'मुझे पैसे नहीं चाहिए,' तो वह भी बड़ा गुनाह है। लक्ष्मी जी का तिरस्कार नहीं और इच्छा भी नहीं करनी चाहिए। उन्हें तो नमस्कार करने चाहिए। उनका तो विनय रखना चाहिए, क्योंकि वे तो हेड ऑफिस में हैं। लक्ष्मी जी तो उनके खुद के टाइम पर, काल पकने पर आती हैं, ऐसा ही है। यह तो इच्छा से अंतराय डालता है। लक्ष्मी जी कहती हैं कि, 'जिस टाइम पर जिस मोहल्ले में रहना हो, उसी टाइम पर रहना चाहिए, और हम समय-समय पर भेज ही देते हैं। तेरे हर एक ड्राफ्ट वगैरह सभी टाइम से आ जाएँगे। लेकिन साथ ही, मेरी इच्छा मत करना। क्योंकि नियमपूर्वक जिसका है, उसे ब्याज के साथ भिजवा देते हैं। जो इच्छा करता है उसके वहाँ देर से भेजते हैं, और जो इच्छा नहीं करता उसे समय से भिजवा देते हैं।' दूसरा, लक्ष्मी जी क्या कहती हैं कि 'तुझे मोक्ष में जाना हो तो हक़ की लक्ष्मी मिले, वही लेना। किसी की भी लक्ष्मी छीनकर, ठगकर मत लेना।' फिर भी यदि लक्ष्मी जी की उलट-पुलट(आना-जाना)
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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