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________________ (247) अपनी मर्यादाओं का अतिक्रमण कर, अपनी स्वभाव दशा से निकलकर विभाव दशा में चले गये, अतः पुनः स्वभाव के प्रति आगमन करना प्रतिक्रमण है। जो पाप मन, वचन और काया से स्वयं किये जाते हैं, दूसरों से करवाये जाते हैं एवं दूसरों के द्वारा किये हुए पापों का अनुमोदन किया जाता है, उन सभी पापों की निवृत्ति हेतु, किये गये पापों की आलोचना करना, निंदा करना प्रतिक्रमण है। ___ आवश्यक सूत्र की नियुक्ति, चूर्णि, वृत्ति आदि ग्रंथों में इसकी विस्तृतचर्चा की गई है। साधारणतया यह समझा जाता है कि प्रतिक्रमण अतीतकाल में लगे हुए दोषों की परिशुद्धि के लिए है। परन्तु आचार्य भद्रबाहु' एवं. आ. हरिभद्र ने निर्देश किया है कि "प्रतिक्रमण केवल अतीतकाल में लगे दोषों की ही परिशुद्धि नहीं करता, अपितु वह वर्तमान और भविष्य के दोषों की भी शुद्धि करता है। अतीतकाल में लगे हुए दोषों की शुद्धि तो प्रतिक्रमण में की जाती ही है। वर्तमान में भी साधक संवर साधना में लगा रहने से पापों से निवृत्त हो जाता है। साथ ही प्रतिक्रमण में वह प्रत्याख्यान ग्रहण करता है, जिससे भावी दोषों से भी बच सकता है। भूतकाल के अशुभ योग से निवृत्ति, वर्तमान में शुभ योग में प्रवृत्ति और भविष्य में भी शुभ योग में प्रवृत्ति करुंगा, इस प्रकार वह संकल्प करता है।" काल की दृष्टि से प्रतिक्रमण पाँच प्रकार का होता है1. दैवसिक-दिन के अंत में किया जाने वाला प्रतिक्रमण दैवसिक है। 2. रात्रिक-रात्रि में लगे दोषों का रात्रि के अंत में किया जाने वाला प्रतिक्रमण। 3. पाक्षिक-पंद्रह दिन के अंत में अमावस्या और पूर्णिमा को अथवा चतुर्दशी के दिन संपूर्ण पक्ष में आचरित पापों का प्रतिक्रमण करना। ____4. चातुर्मासिक-चार चार माह के पश्चात् कार्तिकी चौदस/पूर्णिमा, फाल्गुनी चौदस/पूर्णिमा, आषाढ़ी चौदस/पूर्णिमा के दिन चार महिने में लगे हुए दोषों की आलोचना कर प्रतिक्रमण करना चातुर्मासिक प्रतिक्रमण है। 5. सांवत्सरिक-प्रत्येक वर्ष संवत्सरी महापर्व के दिन वर्ष भर के पापों का चिन्तन कर उनकी आलोचना करना सांवत्सरिक प्रतिक्रमण है। भाद्रवा शुक्ला चतुर्थी/पंचमी को यह महापर्व आता है। 1. आव. नि. सा 2. आव. हारिभद्रीय वृत्ति
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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