________________ ( 176) सोनगरा चोहान और दिवान फतेहखान प्रथम के बनवाये माने जाते हैं। इन महलों के अन्तराल में पानी का टांका भी है जिसमें वारिश का जल बारहो महिना रहता है। किले के ऊपर के तीसरे दरवाजे के पास दहिनी तरफ एक छोटी मसीद है, जो मुसलमानी अमल में बनाई गई है। यहाँ से 2 मील के फासले पर वीरमचोकी है, जो विकट माडी के बीच में है और उसका रास्ता भी अति भयङ्कर है। ___ वर्तमान जालोर शहर का प्राचीन नाम 'जाबालिपुर' और ' जालंधर है / इस समय शहर में दशा वीसा ओसवालों के 755, और पोरवाडों के 100 घर हैं जिनमें सनातन-त्रिस्तुतिक संप्रदाय के 135 घर, चतुर्थस्तुतिकों के 300 घर, स्थानकवासियों के 325 और दादुपन्थी-रामसनेहियों के 5 घर हैं / गाँव में 4 उपासरे, दो पोसाले, तीन धर्मशालाएँ और एक लायब्रेरी है। तीन थुईवालों की धर्मशाला सब से बडी पकी दो मंजिली है और उसके एक कमरे में ज्ञानभंडार है जिसमें मुद्रित और हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह है। यहाँ की केशरविजयजैनलायब्रेरी में भी अच्छे अच्छे ग्रन्थो का संग्रह है जो पबलिक प्रामको नियमाली के अनुसार गचने को दिये जाते हैं / शहर के महाजनी मुहल्लो में सौधशिखरी 8, गृहमन्दिर 1 और सूरजपोल के बाहर शिखरबद्ध 1. एवं दस जिन मन्दिर हैं, जो प्राचीन-अर्वाचीन है, और उनकी मूलनायक समेत मूर्तियों की संख्या वास ( मुहल्ले ) वार इस प्रकार है