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________________ (12) ४-इस प्रकार से निश्चित ज्ञान को अमुक समय तक - याद रखना उसको 'धारणा' कहते हैं। ___इस प्रकार दो तरह के सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष का वर्णन करने के बाद अब पारमार्थिक प्रत्यक्ष के भेदों का वर्णन किया. जायगा। ____ इन्द्रिय और मन की अपेक्षा विना केवल आत्माद्वारा ही जो ज्ञान होता है उसको पारमार्थिक प्रत्यक्ष कहते हैं। पारमार्थिक प्रत्यक्ष दो प्रकार का होता है (1) सकल * और (2) विकल। विकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष के दो भेद हैं-(१) अवधि और (2) मनःपर्यय / सकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष का एक ही भेद है / वह हैकेवलज्ञान / इस तरह उक्त दोनों तरह के प्रत्यक्ष प्रमाण के-परोक्ष की भाँति ही-दो भेद हैं-(१) स्वार्थ और (2) परार्थ। १-आभूषणों सहित श्रीतीर्थकर भगवान की मूर्ति के हमको दर्शन होते हैं यह है 'स्वार्थप्रत्यक्ष' / २-दूसरे को कहना कि-आभूषणों से अलंकृत यह श्री जिनराज को प्रतिमा है। और हमारे कहने से दूसरा उसका प्रत्यक्ष करता है / यह है 'परार्थप्रत्यक्ष /
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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