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________________ (8) इस के दो भेद हैं / ( 1 ) द्रव्यार्थिक नय; और (2) पर्यायार्थिक नय। 1 द्रव्यार्थिक नय के तीन भेद हैं। (1) नैगम नय% (2) संग्रह नय ( 3) और व्यवहार नय / 2 पर्यायार्थिक नय के चार भेद हैं। ( 1 ) ऋजुसूत्र नय ( 2 ) शब्द नय ( 3 ) समभिरुट नय और (4) एवंभूत नय / इन सातों नयों का स्वरूप यहां न देकर मेरे 'जैन तत्त्व दिग्दर्शन ' में से देख लेने की सूचना करता हूँ। नयचक्र में सात नयों के सात सौ भेद बताये गये हैं। सम्मतितर्क में लिखा है कि,-जितने वचन-पथ हैं इतनेही नय हैं इसी तरह जितने वचन मार्ग हैं, दुनिया में, उतने ही मत प्रचलित हैं। मगर इतना ध्यान में रखना चाहिए किकेवल एक नय का कथन मिथ्या है, और सातों नयों का सम्मिलित कथन सत्य है। ___ यहाँ प्रश्न उठता है कि-एक नय का कथन जब मिथ्या है, तब सातों नयों के सम्मिलित कथन में सम्यक्त्व-सच्चापन कैसे आ सकता है ? जैसे कि बालु रेत के एक कण में तैल नहीं है, तो उस के समुदाय में भी तैल नहीं हो सकता है। प्रश्न ठीक है; परन्तु यह हरेक जानता है, कि एक मोतीमाला नहीं; मगर मोतियों का समुदाय माला है-मोतियों के
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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