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________________ (7) जीवों का स्वभाव कठोर होने से उन्हें कुछ लाभ नहीं होता है तो इस से देशना में कूछ न्यूनता नहीं कही जा सकती। ___और उदाहरण लो। शक्कर का स्वभाव श्रेष्ठ गुण करना है। परन्तु गधे को उस से लाभ नहीं होता / गन्ना-ईख मीठा होता है; परन्तु ऊँट के लिए वह विष तुल्य होता है / घृत आयुवर्द्धक होता है। परन्तु ज्वर वाले मनुष्य के लिए वह घातक होता है। इसी माँति तीर्थंकर महाराज की देशना मिथ्यात्व-वासित मनुध्य को नहीं रुचती है / इससे देशना दूषित नहीं हो सकती। दृषित है स्वयं सुनने वाला। इतना उपक्रम करने के पश्चात् अब हम अपने प्रतिज्ञातप्रकृत विषय की मीमांसा की ओर झुकेंगे। प्रारंम में यह कह चुका हूँ कि यह देशना, नय, निक्षेप, प्रमाण, सप्तभंगी और स्याद्वाद से परिपूर्ण है। इस लिए पहिले उनका समझाना आवश्यकीय समझ, संक्षेप में नयादि का स्वरूप बताया जाता है। नय का स्वरूप / जिसके द्वारा, श्रुतनामा प्रमाण से विषयीभूत बने हुए अर्थ (पदार्थ) के एक अंश (धर्म ) का-अन्य अंशों का निषेध किये विना-ज्ञान होता है, उसको-वक्ता के उस अभिप्राय विशेष को 'नय ' कहते हैं।
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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