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________________ ( 187 ) माँगना बुरा है। परन्तु वही साधुओं के लिए भूषण है। भूमि पर सोना दरिद्रता का चिन्ह है; परन्तु साधुओं के लिए वह भूषणास्पद है / इसी भाँति की और भी कई बातें हैं जो गृहस्थावस्था में दुर्गुण समझी जाती हैं। परन्तु साधु-अवस्था में भूषण गिनी जाती हैं। इतना ही नहीं वह हित करनेवाली भी प्रमाणित होती है। मगर इस बात को बहुत ही कमलोग पसंद करते हैं / इस भव में और पर भव में जो दुःख देनेवाली बातें हैं उन्हीं को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। ___ वस्तुतः सुख वही है जिस का अन्त सुख है और दुःख वही है जिस का अन्त दुःख है / जिस दुःख का अवसान सुख में होता है वही वास्तविक सुख है और जिस सुख का अवसान दुःख में होता है वही वास्तविक दुःख है। उदाहरणार्थ-मुनि धर्म द्रव्यसे-बाहिरसे -दुःख पूर्ण मालूम होता हैं; परन्तु मावसे-वास्तव में-वह सुखमय हैं / इसी लिए कहा है कि:नो दुष्कर्मप्रयासो न कुयुवतिसुतस्वामिदुर्वाक्यदुःखं, राजादौ न प्रणामोऽशनवतनधनस्थानचिन्ता.न चैव / ज्ञानाप्तिर्लोकपुना प्रशमसुखमयः प्रत्य नाकाद्यवाप्तिः / श्रामण्येऽमी गुणाः स्युस्तदिह सुमतयस्तत्र यत्नं कुरुध्वम्॥ भावार्थ-साधु दशा में बुरे कर्म करने का प्रयत्न नहीं
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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