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________________ (10) को पूर्ण दृढता के साथ करते ही रहते थे। आप करीब तीन सालसे वीसस्थानक तपकी ओली एकासने से करते थे। बारहवीं ओली चलती थी। ऐसी बीमारी में भी यह तपस्या बराबर करते ही रहे थे। आपकी श्रद्धा और मन की दृढता का सच्चा परिचय तो आपकी अन्तिम अवस्था में हुआ। सं. अन्त समय की 1986 के वैशाख वदि अमावास्या .)) दृढता। . की रात्रि को कुछ बदहजमी की तकलीफ मालुम हुई। उस तकलीफ को एक मामूली तकलीफ समझकर इसकी कोई विशेष रूपसे चिकित्सा नहीं की। वैशाख सुदि 3 को आपकी तरफसे जो सालाना बड़ी पूजा होती थी उस पूजा में भी पधारे, पधारे ही नहीं, परन्तु इतनी तकलीफ में भी सुंदर राग-रागिनीयों से खुदने पूजा पढाई। और अन्त में अक्षयतृतीया का स्तवन भी गायन मंडली के बालकों के साथ भक्तिपूर्वक गाया / रात्रि को भावना में भी पधारे, करीब दस बजे मंदिर से घर पर गये, और 12 बजे दस्त की तकलीफ हुई। यह तकलीफ पंचमी तक बराबर रही, परन्तु मन की दृढता के साथ आप अपने नित्य कर्मों को बराबर करते रहे। शुक्ल पंचमी का एकासणा आप वर्षों से करते आये थे। आजकी पंचमी आपके जीवन की अंतिम पंचमी थी। शारीरिक वेदना असाधारण थी। डाक्टर और हकीम लोग तपस्या नहीं करनेका
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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