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________________ ( 169) पड़ोसनने पूछा:-" तब लड्डु कहाँ गया ? " उसने उत्तर दिया:-" मैंने उसे मुनि महाराज को बहरा दिया।" पड़ोसनने जरा मुँह बनाकर कहा:-" अरे तुमने यह क्या किया ? वह बहुत अच्छास्वाद ला था।" ___ यह सुनकर, उसने लड़वाला बतन सँभाला। उसमें उसे थोडासा लड़का चूरा पड़ा हुआ मिला / उसने लेकर मुंह में डाला / उसका उसे बहुत स्वाद आया / इसलिए उसे विशेष स्वाद आया / अतः उसे विशेष खाने की इच्छा हुई। उस इच्छाने-उस लडू खाने के लोभने-उसकी उत्तम भावना को नष्ट कर दिया और उसके जीव को उन्मार्ग पर ले गया। वह मुनिके पीछे दौड़ा / मुनि को वन में जाते हुए, उसने मार्ग में रोका, और कहा:-" मैंने तुम्हें जो लडू बहराया है वह वापिस दे दो।" साधुने उत्तर दिया:--" माई, साधु के पात्र में पड़ा हुमा आहार वापिस लिया नहीं जाता और न साधु ही उसे वापिस देते हैं / . और भी शान्तिसे कई तरह की बातें कहकर, मुनिने उसको समझाया; परन्तु उसने एक न सुनी / वह ला के लोम में लग
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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