SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्धांत रहस्य ॥८७॥ जंबूस्वामीने केवलज्ञान उपनुं ते ४४ वर्ष सुधी केवल पर्याय पालीने निर्वाण पाम्या, वीरप्रभु मोक्षे गया पछी ६४ वर्ष सुधी भरतक्षेमां केवल ज्ञान अने मोक्षगमन र चोथा आरानो जन्मेलो पांचमां आरामां मोक्षे जाय, पण पांचमां आरानो जन्मेलो मोक्षे न जाय. जंबूस्वामी मोक्ष गया पछी १० वस्तुओ (बोल) विच्छेद गइ. १ परम अवधिज्ञान, २ मनःपर्याय ज्ञान, ३ केवलज्ञान, ४ त्रण चारित्र ( परिहारवि०, सूक्ष्म सं० ने यथाख्या तचा० ), ५ पुलाक लब्धि, ६ आहारक शरीर, ७ जिनकल्पी साधु, ८ उपशम श्रेणि, ९ क्षपक श्रेणि अने १० मोक्षगमन. ए चोथो आरो उतरीने पांचमो आरो बेठो, त्यारे वर्णादिकना अनंत पर्याय हीन थया. ए आरो दुषभ नामे - एकलं दुःख जाणवु. ए आरो २१ हजार वर्षनो जाणवो. ए आराने विषे ७ हाथनुं देहमान अने एकसो वर्ष झाझे आयुष्य जाणवु अने उतरते आरे एक हाथनुं देहमान ने वीश वर्षनुं आयुष्य ए आराने विषे छ संघयण ने संठाण, उतरते आरे छेव ने हुंडर्स जाणवु. ए आराने विषे १६ पसली उतरते आरे ८ पांसली होय. दररोज आहारनी इच्छा उपजे; त्यारे शरीर प्रमाणे आहार करे. धरतीनी सरसाइ १ जंपूीपपन्नतीनी टीकामां १३० वर्षनुं आयुष्य कहेलुं छे. कोइक देश के मनुष्य आश्रयी विशेष आयुष्य होय ते पण संभावित है, आकाले वधारेमा वधारे ( २५० ) वर्षनुं आयुष्य संभवी शके छे. कारण ? श्री आर्यरक्षितसूरीश्वरे इंद्रनुं हाथ जोइ अडीसो वर्ष उपरांत आयुष्य जोयुं त्यारे तेन जायं के आ भरतक्षेत्रनो नथी. आ उपरथी उपरनी हकीकत संभवी शके छे. ' तचकेवलिगम्यं. ' २ स्थूलीभद्र पछी बज्रऋपभनाराचसं० विच्छेद गयुं अने आर्यरक्षित सूरिथी चोधुंसं० विच्छेद गयुं एम ग्रन्थान्तरमां लेख छे. त्यारे वर्तमानमां के संघयण जणाय . छआरानो विचार ॥८७॥
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy