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________________ सिद्धांत रहस्य ॥२६॥ गलो अने भावथी वर्ण, गंध, रस ने स्पर्शवाला पुद्गलोनो आहार करे. ते पण फरसेला पुद्गलो- अनंतराव - गाढ पुद्गलोनो आहार करे. अने वली स्वविषयानुपूर्वीए-उर्ध्व आदि त्रण अने पूर्वादि छ दिशामांथी आहार करे. ते आहार त्रण प्रकारनो छे ओज, रोम अने कवल. अथवा सचित्त, अचित्तने मिश्र उववायके० आवीने उपजे ते आगल कहेवासे. ठिइ के० स्थिति ज० अंतर्मुहूर्त्त अने उ० ३३ सागरोपमनी. समुहाए के० मारणांतिक समुद्घात सहित मरण, ते बे प्रकारनुं छे; समोहया अने असमोहया. इलिकानी गति प्रमाणे जे ( समुद्घात सहित ) मरण ते समोहया मरण अने समुद्घात रहित, बंदुकना भडाकानी परे जीवना प्रदेश सामटा नीकळे ते असमोहया मरण. चवण के० चवीने जेटला दंडकमां जीव जाय ते आगल कहेवासे. गई. आगई के० गति ने आगति. जेमां जावुं ते गति, ते पांच छे; नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति, देवगति अने मोक्षगति. जेमांथी आवकुं ते आगति चार- नरकनी आगति, तिर्यचनी आ०, मनुष्यनी आ०, देवनी आगति. चेव के० निश्चय, ए बे गाथानो अर्थ कह्यो हवे चोवीश दंडकना नाम कहे छे पहेलो नारकनो दंडक, सात नरक नाम: - घमा, वंशा, शिला, अंजना, रिट्ठा, मघा, माघवती. हवे गोत्र कहे छे : - रत्नप्रभा, शर्करा - प्रभा, वालुकाप्र०, पंकप्र०, धूमप्र०, तमःप्र०, तमः तमः प्रभा० ए सात नरकनो एक दंडक हवे दश भवनपतिना दश दंडकः--असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार एवं ११ दंडक हवे पांच स्थावरना पांच दंडकना नामः १ 'समोहया ने असमोहया' शब्द शुद्ध जणाय छे जुवो पद्मवणासूत्रनी टीका. दंडक ॥२६॥
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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