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________________ सिद्धांत ॥१५॥ षद्रव्य विचार ॥१५२॥ चक्रेय शरीरपणे ग्रहण करवा योग्य थाय. तेथी अनंतगुणा परमाणुओ मळे त्यारे ते वर्गणा, आहारकशरीरपणे ग्रहण करवा योग्य थाय. तेथी अनंतगुणा परमाणुओ मले त्यारे ते वर्गणा, तेजस शरीरपणे ग्रहण करवा योग्य थाय, पछी भाषा वर्गणा, श्वासोच्छवास वर्गणा मनोवर्गणा अने कार्मणवर्गणा जाणवी. ए प्रत्यक वर्गणा, एकेकथी अनंतगुणी (पूर्वोक्त अभव्यथी अनंनगुण परमाणुनी) छे. तेनी वचमानी अनंत वर्गणाओ, ग्रहण करवा योग्य नथी. सर्व जघन्य ग्रहण करवा योग्य वर्गणाधी एकेक परमाणु अधिक यावत् अनंत भागाधिक अनंत| वर्गणाओ छे. ए आटे वर्गणाओ अनुक्रमे अनंतगुणी अने सूक्ष्मपरमाणुओनी बनेली होवाथी अंगुलना असंख्यातमे भागे हीन हीन अवगाहनावाळी छे. तेमां पहेली ४ वर्गणाओ, बादर गुरुलघु परिणामवाली होवाथी ५ वर्ण, २ गंध, ५ रस अने ८ स्पर्श, एम २० गुणवाली होय छे अने बाकीनी चार वर्गणाओ सूक्ष्म अगुरुलघु परिणामवाली होवाथी ५ वर्ण, २ गंध, ५ रस अने ४ स्पर्श, ए १६ गुणवाली होय छे. हवे षद्रव्यर्नु स्वरूप, आठ पक्षथी कहे छे ते आठ पक्षना नाम-१ नित्य, २ अनित्य, ३ एक, ४ अनेक, ५ सत्, ६ अस त् , ७ वक्तव्य अने ८ अवक्तव्य, धर्मास्ति. अने अधर्मास्ति ना ४ गुण अने एक (लोकप्रमाग) स्कंधपर्याय नित्य छ, शेष ३ पर्याय अनित्य छे. आकाशास्ति ना ४ गुण अने एक (लोकालोक प्रमाण) स्कंधपर्याय नित्य छ, शेष ३ पर्याय अनित्य छे. कालना ४ गुण नित्य छे अने४ पर्याय अनित्य छे. पुद्गलाना ४ गुण नित्य छे अने ४ पर्याय अनित्य छे. २ वर्गणानो विचार बहुज गहन छ जिज्ञासु ए विशेषावश्यक ने पंचम कर्ममन्धने अवलोकयु, RA
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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