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________________ % पद्रव्य विचार ॥१५॥ % गंध, ४ सण,२ गंध, रस % % तमदेशी गंध, ६ रस F१ अव्यायाध, २ अनवगाह, ३ अमूर्त्त, ४ अगुरुलघु. हवे पुद्गलनो विशेष विचार कहे छे-एक परमाणुमा १ सिद्धांत- वर्ण, १ गंध, १ रस अने २ स्पर्श होय. बे परमाणु मले त्यारे द्विप्रदेशी स्कंध थाय, तेमा २ वर्ण, २ गंध, २ रस रहस्य अने ४ स्पर्श होय. त्रण परमाणु मले त्यारे त्रिप्रदेशी स्कंध थाय, तेमां३ वर्ण,२ गंध,३ रस अने ४ स्पर्श होय. ॥१५॥ चार परमाणु मलवाथी चतुष्पदेशी स्कंध थाय तेमां ४ वर्ण, २ गंध, ४ रस अने ४ स्पर्श होय. पांच परमाणु |मलवाथी पंच प्रदेशी थाय, तेमां ५ वर्ण, २ गंध, ५ रस अने ४ स्पर्श होय. एवी रीते एकेक परमाणु वधारतां यावत् संख्यातप्रदेशी, असंख्यातप्रदेशी अने अनंतप्रदेशी स्कंध थाय. ए अनंत प्रदेशी स्कंधनी वर्गणा, कोइपण जीवने ग्रहण योग्य न थाय. अर्थात् ते वर्गणा ने जीव, ग्रहण न करी शके. त्यारे कइ वर्गणा ग्रहण करवाने योग्य थाय? ते कहे छे-अभव्य जीवथी अनंतगुणा अने सिद्धना अनंतमे भागे परमाणुओ एकठा मळे, त्यारे औदारिक शरीरपणे ग्रहण करवा योग्य वर्गणा थाय. तेथी एकेक परमाणु अधिक अनंत वर्गणा, औदारिक शरीरपणे ग्रहण करवायोग्य छे. जघन्य ग्रहण करवा योग्य वर्गणाथी उत्कृष्ट ग्रहण योग्य वर्गणा, अनंतभाग अधिक जाणवी. पछी ग्रहण न करवा योग्य अनंत वर्गणाओ छे. औदारिक शरीरपणे ग्रहण करवा योग्य जे उत्कृष्ट वर्गणा तेथी सिद्धना अनंतमे भागे अने अभव्यथी अनंतगुणा परमाणुओ, वळी मळे त्यारे ते वर्गणा | [सुख छे. तेम जीवने आयुष्य प्राण बाह्य सुस्वरुप छे, अने जीव अनंत शक्तिमान् छे तेम बाह्यतः योगवीर्यवालो छे, एम जाणवू. २ शीत, उष्ण, स्निग्ध अने रुक्ष ए चार स्पर्शमाथी अविरोधी बे स्पर्श होय बाकीना गुरु-लघु वगेरे न होय. ३ अहिं अनेक भागा थाय छे. % % % % %
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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