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________________ थोकडासंग्रह भा०१ 18रण बनस्पति छे. कंदमूलना एक ककडामा (सोयना अग्रभागे रहे तेमा) अनंत जीव कह्या छे. तेनी अवगाहना सिद्धांत- अंगुलना असंख्यातमाभागनी छे. तेनुं आयुष्य ज० ने उ० अंतर्मुहर्त्तनुं छे. ते बन्नेना मलीने कुल अठावीश रहस्य लाख क्रोड छे तेनी दया पालीएतो अनंत मोक्षना सुख पामीए. हवे त्रसकायनाचार भेद कहे छे:-१ बेइन्द्रिय, २ तेइंद्रिय, ३ चरिंद्रिय अने ४ पंचेंद्रिय. बेइंद्रियना बे भेद-अपर्याप्ता ने पर्याप्ता. बेइंद्रिय कोने कहीएं | जेने काया (स्पर्शनेंद्रिय ) ने जीभ ( रसनेंद्रिय) होय तेने बेइंद्रिय कहीए. तेना नाम-जळो, कीडा, पोरा, करमिया, सरमिया, अलसिया, लाट, शंख, छीप, कोडा अने चंदनकआदि अनेक जातिना बेइंद्रिय जीवो छे. तेना कुल सात लाख क्रोड छे. अवगाहना ज० अंगुलना असंख्यातमा भागनी ने उ० बार योजननी छे. तेनु आयुष्य ज. अंत० अने उ० बार वर्षनुं छे. तेनी दया पालीएं तो अनंतमोक्षना सुख पामीए तेइंद्रियना वे भेद अपर्या० ने पर्या. तेइंद्रिय कोने कहीए? जेने काया, जीभ अने नासिका (घ्राणेंद्रिय) होय तेने तेइंद्रिय कहीएं. तेना नाम-लीख, चांचड, मांकड, कीडी, कुंथुआ, माटला, धनेडा, इतडी, जवा, गोडा, धीमेल, गधैया, कानखजुरा, मकोडा; इत्यादि घणी जातिना तेइंद्रियजीवो छे. तेना कुल आठ लाख क्रोड छे. अवगाहना ज. अंगुलना असंख्यातमा भागनी अने उ० ऋण गाउनी छे. तेनुं आयुष्य ज. अंत. अने उ० उगणपञ्चास दिवसर्नु छे. तेनी दया० ॥ चरिंद्रियना बे भेद अप० ने पर्या०, चउरिद्रिय कोने कहीए ? जेने १ ए शंखनी जाति छे अचित्त 'चंदनक' ने स्थापनाचार्य तरीके उपयोग अमूक गच्छवाला करे छे.
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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