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________________ सिद्धांत रहस्य ॥ ४ ॥ स्पतिकायिकना बे भेद सू० ने बा०, सूक्ष्म पूर्ववत् तेना बादरप० अने अप० हवे बा० वनस्पतिकायिकना बे भेद प्रत्येक ने साधारण एक शरीरने विषे एक जींव होय तेने प्रत्येक कहीएं अने एक शरीरने विषे अनंत जीव होय तेने साधारण कहीएं. साधारण ने प्रत्येकनुं विशेष लक्षण कहे छे-जेनी नसो, सांधा (संधि) अने पर्व गुप्त होय, तथा समान भंग थाय-भांगतां तांतण न देखाय अने छेद्या थका फरीथी उगे ते साधारण कहेवाय; तेथी विपरीत लक्षण होय ते प्रत्येक कहेवाय छे. प्रत्येकना भेद कहे छे -१ वृक्षने वेलानी जाति, २रींगणी तुलसी अने गुल्मनी जाति, ३ एरंडा आकडा ने धतूरानी जाति, ४ दाडम शेलडी ने केलानी जाति, ५ प्रो केवडो दाभडो ने तरणानी जाति, ६ फूल - कमल ने नागरवेलनी जाति, ७ बोरडी केरडो ने कसेलानी जाति, ८ जुवार बाजरो मठ ने मकाइनी जाति, ९ तांजलजो सुवा मोघरी वालोर फलीनी जाति, ए आदि अनेक जाति, प्रत्येक वनस्पति छे. तेमां संख्याता असंख्यता जीव कह्या छे. तेनी अवगाहना ज० अंगुलना भागनी अने उ० एक हजार योजननी झाझेरी छे. तेनुं आयुष्य ज० अंत० अने उ० १० हजार वर्षनुं हवे साधारण वनस्पतिना नाम कहे छे १ लील फूल ने सेवालनी जाति, २ गाजर-मूलानी जाति, ३ डुंगली-लशणनी जाति, ४ आदु - गरमरनी जाति, ५ रतालु - पिंडालुनी जाति, ६ कंटालो थोर खुरसाणी कुंवार ने शेलरानी जाति, ७ मोथ ने लुणीनी जाति, ८ उगता अंकुरा ने कोमल फलनी जाति, तथा वज्रकंद सरणकंद अने गलो आदि अनेक जातिनी साधा१ भूल, कंद, स्कंध, त्वचा, शाखा, प्रवाल पत्र, पुष्प, फल अने बीज ने भांगवाथी समभंग वगेरे लक्षण होय तो ए बधा अनंत जीवात्मक छे. थोकडासंग्रह भा० १ ॥ ४ ॥
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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