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________________ BACH सिद्धांत रहस्य ॥१०६॥ धर्मध्यान विचार ॥१०६॥ नाम, सुस्वर नाम अने आदेय नाम ए ५नी ज. सातिया १ भाग अने उ. १० कोडा. सानी, स्थिरनाम, अशुभ नाम, दौर्भाग्य नाम, दुःस्वर नाम अने अनादेय नाम ए ५नी ज० सातिया २ भाग अने उ०२०कोडा. सानी, यशोकीर्तिनी ज०८ मुहूर्त अने उ०१० कोडासानी, अयशोकीर्तिनी ने निर्माण नामनी तिर्यचगतिनी जेम, तीर्थकर नामनी ज० ने उ. अंतः कोडा० सानी उच्च गोत्रनी ज०८ मुहर्त अने उ०१० कोडा० सानी, नीच गोत्रनी तिर्यचगति प्रमाणे. ४ आयुष्यनी स्थिति प्रथम कहेल छे. ५ अंतरायनी ज० अंतर्मु० अने उ.३० कोडा सा नी. जिन नामनो उ० बंध चोथे गुणठाणे देवायुः अने आहारक द्विकनो उ० बंध सातमे गु०, शेष प्रकृतिनो उ० यंध पहेले गु० होय. पुरुषवेद अने संज्वनी चोकडीनो ज. बंध नवमे गु०, तीर्थकर नाम अने आहारक द्विकनो ज. बंध आठमे गु०, ज्ञानावरणीय ५, दर्शनावरणीय ४, अंतरायनी ५, उचगोत्र यशोकीर्ति, सातावेदनीय ए १७नो ज. बंध दशमे गुण होय. देवगति, देवानुपूर्वी, नरकगति, नरकानुपूर्वी वैकेयद्विक ए ६ प्रकृतिना ज. बंधक असंज्ञी पंचेंद्रिय होय. शेष प्रकृतिना ज. बंधक बादर एकेंद्रिय पर्याप्त होय. सम्यक्त्वमोहनीय ने मिश्रमोहनीय ए बंधमां न होय पण उदयमां होय माटे जे बन्नेनी स्थिति कहेल छे ते उदयनी अपेक्षाए. कर्मप्रकृति समाप्त. अथ धर्मध्यान विचार-से किं तं धम्मे झाणे? धम्मे झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पन्नते तं जहा १ आणाषिजए, २ अवायविजए, ३ विवाग विजए, ४ संठाणविजए. धम्मस्सणं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पन्नत्ता 32-315 74
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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