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________________ अलङ्कार-धारणा का विकास [ ७७. आवृत्ति .. आचार्य दण्डी ने आवृत्ति को स्वतन्त्र अलङ्कार के रूप में मान्यता दी है। यह उनकी नवीन उद्भावना है। भरत तथा भामह ने आवृत्ति अलङ्कार का उल्लेख नहीं किया है। दण्डी की आवृत्ति-परिभाषा पर विचार करने से स्पष्ट हो जाता है कि वह स्वतन्त्र अलङ्कार नहीं है, दीपक का ही एक भेद है। इसमें दीपक की ही आवृत्ति पर विचार किया गया है। दोनों में थोड़ा-सा भेद यह है कि दीपक में वाक्यान्तर में पद का उपादान नहीं होने पर भी दूसरे वाक्य में प्रयुक्त पद का उसके साथ अन्वय हो जाता है, पर आवृत्ति में एक वाक्य में प्रयुक्त पद का या उसके समानार्थक पद का दूसरे वावय में पुनः उपादान होता है। अतः, इसे आवृत्ति दीपक नामक दीपक-भेद मानना ही उचित होता। दीपक का सद्भाव रहने पर अर्थ, पद तथा उभय ( अर्थ और पद) की आवृत्ति के आधार पर आवृत्ति के तीन प्रकार माने गये हैं। भामह ने शब्दालङ्कार यमक में अर्थभेद से समान शब्द की आवृत्ति पर बल दिया था। दण्डी के प्रस्तुत अर्थालङ्कार में शब्द-भेद से अथवा समान शब्द से अर्थ की आवृत्ति वाञ्छनीय मानी गयी है। सम्भव है कि उक्त शब्दालङ्कार की शब्दावृत्ति-धारणा के आधार पर प्रस्तुत अर्थालङ्कार में अर्थावृत्ति की धारणा व्यक्त की गयी हो। आक्षेप दण्डी की सामान्य आक्षेप-धारणा भामह की धारणा से अभिन्न है; किन्तु 'काव्यादर्श' में उसके अनेक भेदों की कल्पना कर ली गयी है। उनके उद्गम-स्रोत का अन्वेषण अपेक्षित है। दण्डी की मान्यता है कि आक्षेप्य या प्रतिषेध्य वस्तु की अनन्तता के कारण आक्षेप के असंख्य भेद हो सकते हैं। उन्होंने कुछ प्रमुख भेदों का सोदाहरण विवेचन किया है। वे भेद हैं-- अतीताक्षेप या वृत्ताक्षेप, वर्तमानाक्षेप, भविष्यदाक्षेप ( ये तीन प्रकार कालविभाग के अनुसार ); धर्माक्षेप, धाक्षेप, कारणाक्षेप, कार्याक्षेप, अनुज्ञाक्षेप, प्रभुत्वाक्षेप, अनादराक्षेप, आशीर्वचनाक्षेप, परुषाक्षेप, साचिव्याक्षेप, यत्नाक्षेप, १. अर्थावृत्तिः पदावृत्तिरुभयावृत्तिरेव च । दीपकस्थान एवेष्टमलङ्कारत्रयं यथा ॥ दण्डी, काव्याद० २, ११६ २. तुलनीय-भामह, काव्यालं० २, ६८ तथा दण्डी, काव्याद० २, १२०..
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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