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________________ सवृत्तिकः कविदर्पणः सा पुण विसेसरूवा होइ विगाहा फुडं लोए। जा गाहावि पढिजइ कईहिं विवरीयउभयदलकलिया ॥ ६७ ॥ जीसे पढमिल्लदले तीसं मत्ताउ तीस बीयदले। सा सहिमत्तकलिया गीई भणिया जयंमि बिबुहेहिं ॥ ६८ ॥ सगवीसं सगवीसं मत्ताओ दलदुगे जत्थ । सा चउवासुमत्ता उवगीई गिज्जए लोए ॥ ६९ ॥ बासट्ठी मत्ताओ कहिया गाहिणीइ छंदमि । बारटारसबारसवीसं च कमेण चउसु पाएसु फुडं ॥ ७० ॥ पत्थारछंदसंखा एगूणा अक्खराइसंजुत्ता । गाहाणं दूहाणं भक्खरसंखं पयासेइ ॥ ७१ ।। वना निराइदुगुणा लहुआइजुआ कहंति लहुसंखं । वनविसुद्धा मत्ता फुडं पयासंति गुरुसंखं ॥ ७२ ॥ पयडेह छंदसंखं अक्खरसंखा अणाइ एकजुभा । छंदाणं जोणीमो जाणह पाऊणमत्ताए ॥७३॥ इय पाइयछंदाणं कइवयनामाइं सुप्पसिद्धाइं । भणियाई लक्खलक्खणजुयाई इह छंदकोसंमि ॥ ७४ ।। इति रत्नशेखरविरचितः छन्दकोशः समाप्तः ॥ एकया मात्रया पादोना योनिर्भवति। चतसृभिर्मात्राभिस्तिस्रो योनय इति गाथाभावार्थः ॥७३॥ श्रीमन्नागपुरीयतपागच्छगगनमण्डननभोमणिश्रीवज्रसेनसूरिशिष्यश्रीहेमतिलकसूरिपट्टप्रतिष्ठितश्रीरत्नशेखरसूरिभिः कथितानीति ॥ ७४ | समाप्ता चेयं श्रीरत्नशेखरसूरिसंतानीय भट्टा० श्रीराजरत्नसूरिपट्टस्थितश्रीचन्द्रकीर्तिसूरिविरचिता छन्दःकोशनामग्रन्थस्य टीका। ६७.१ पुणु for पुण D. ७०.४ AC add होइ before फुड which latter is dropped by B ७४.१ कश्वइनामाइं BD.
SR No.023461
Book Titlekavidarpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH D Velankar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1962
Total Pages230
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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