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________________ App. II - छन्दः कोशः पढमदले छहंसो गुरुमज्झे होइ सब्वलहुओ वा । विसमंसो पुण दोसु वि दलेसु न हु होइ गुरुमज्झे ॥ ५३ ॥ विसमंसा चउभेया दुइओ तुरिओ य हुंति पंचविहा । दुविगविहो छट्टो एग विहो अट्टमो अंसो ॥ ५४ ॥ छब्वीसं पत्थारयगाहा चत्तारि जाइगाहाओ । पंच य सहावगाहा विसेसगाहाउ चत्तारि ॥ ५५ ॥ लच्छी कित्ती कंती गंगा गोणी कुरंगिणी खोणी । लीला ललिया रंभा बंभाणी मागही मेहा ॥ ५६ ॥ माला बाला हंसी वीणा वाणी तरंगिणी तारा । सिद्धी बुद्धी रिद्धी गंधव्वी किंनरी जुण्हा ॥ ५७ ॥ तीसं वन्ना सत्तावीसं दीहा य तिन्नि अड़ीहा । जीए सा भइल्ला नायव्वा होइ एयासु ॥ ५८ ॥ ललिययरमिलियभविरल बहुलहुयर नियररंइयउभयदलं । हुयवहसरमियल हुगुरुदुगजुयमिह मुणह चरमयरं ।। ५९ ।। लच्छी विप्पी मेहा सुद्दी जाणेह खत्तिणी एसा । पडुपयडियवरलहुयरविरइयपयपवरचरमदला ॥ ६० ॥ पढमदलमिलियनिरुव मलवणिमगुणनिउणल हुयपहियतणू । पच्छद्धे दीहेहिं जासा जा सा वइस्सी सा ॥ ६१ ॥ पढमतइज्जा पाया बारसमत्ताउ नेव लंघेति । जीसे सा गाहा विय सहावओ भन्नए पत्था ॥ ६२ ॥ जीए पुण पढमतइज्जएहिं पाएहिं लंघिया मत्ता । सा विउला नाम कईहिं दंसिया छंदसत्यंमि ॥ ६३ ॥ जीए दलेसुं दोसुं पि दोचउथया हु [होंति] गुरुमज्झे । दीहंसरुद्धपासा हविज्ज सा नूणमिह चवला ॥ ६४ ॥ एसो विही य जीए दलंमि आइल्लयंमि होइ फुडं । मुहचवला नाम भवे सा गाहा इत्थ छंदमि ॥ ६५ ॥ एसो वि विही जीए सव्वो वि हविज्ज उत्तरदलंमि । सा होइ इत्थ गाहा जयंमि नूणं जहाचवला ॥ ६६ ॥ १० ५८०३ जाए for जीए D. ६१०२ रहिय for पहिय D. ६३.४ भासिया for दंसिया D: ६६.४ जहन for नहा D.
SR No.023461
Book Titlekavidarpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH D Velankar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1962
Total Pages230
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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