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________________ [ ४ ] जिस समय पुस्तक का मुद्रण समाप्त हुआ तो कुछ समय के लिये श्रीभट्टजी वार्द्धवय के कारण अस्वस्थता का अनुभव कर रहे थे। तब हमने अपने सहयोगी विद्वान् मित्र श्री एच० डी० वेलणकर, अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, बम्बई विश्व विद्यालय को इस उपयोगी पुस्तिका की भूमिका लिखने के लिए अनुरोध किया। श्रीवेलगाकरजी छन्दःशास्त्र के मर्मज्ञ अधिकारी विद्वान् हैं । इन्होंने हमारी अनुरोध स्वीकार कर आमुख लिखने का कष्ट किया तदर्थ हम प्रतिष्ठान की ओर से धन्यवाद अर्पित करते हैं। बाद में, कुछ स्वस्थ होने पर सम्पादक महोदय ने एवं उनके ज्येष्ठ तनुज श्रीकलानाथजी ने भी अपने अपने वक्तव्य भेजे जिनको अग्रिम पृष्ठों में पाठक-वृन्द पढेंगे। . आशा है, राजस्थान-निवासी विद्वान् कवि द्वारा राजस्थान में प्रणीत और राजस्थान के विद्यमान विद्वद्वरेण्य ग्रन्थकृवंशजों द्वारा संपादित एवं राजस्थान पुरातन ग्रंथमाला द्वारा प्रकाशित इस उपयोगी पुस्तक से विद्वज्जन लाभान्वित होंगे। आषाढीपूर्णिमा; संवत् २०२०. मुनि जिनविजय
SR No.023459
Book TitleVruttamuktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH D Velankar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1963
Total Pages120
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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