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________________ २७ असुरा काला नागु, दहिपंडुरा तह सुवन्न दिसि थणियाकणगाभ विज्जु सिहि दीव, अरुणा वाउ पिरंगु निभा ॥ ३१ ॥४४ अर्थः- अमुराकाला के० असुरकुमारनां शरीर काला वर्णे होय छे, (नागुदहि ) के० नागकुमार अने उदधिकुमार (ए बन्नेनां शरीर, (पंडुरा) के० गौर वर्णे छे तह के० तेमज, सुवन के० सुवर्णकुमार (दस) के० दिशिकुमार तथा (थणिया) के० स्तनितकुमार ए त्रणनां शरीर ( कणगाभ) के० सुवर्णकांति समान होय छे. (विज्जु) के० विद्युत्कुमार (सिहि) के० अग्निकुमार (दीव) के० दीपकुमार ए त्रणनां शरीर ( उवरुणा ) के० राता वर्णे छे तथा (वाउ) के० वायुकुमारना शरीरनी कांति (पियंगु ) निभा के० प्रियंगु वृक्षना वर्ण समान होय के नील होय छे. ॥ ३१ ॥ हवे असुरकुमारादिकनां वस्त्रोनो वर्ग कहे छे:असुराण वत्थरत्ता, नागोदहि विज्जु दीव सिहि नीला ॥ दिसि थणिय सुवन्नागं, धवला वाउग संझरुइ ।। ३२ ।। ४५ अर्थः – असुराण के० असुरकुमारनां वत्थ के० वस्त्र, (रत्ता) के० रातां होय छे, (नागोदहि) के० नागकुमार अने उदधिकुमार तथा (विज्जु) के० विद्युत्कुमार (दीव ) के० द्विपकुमार (सिहि ) के० अग्निकुमार ए पांचेनां वस्त्रो निला के० नील वर्णे होय छे, दिसि के० दिशिकुमार (थणिय) के ० स्तनितकुमार अने (सुवन्नाणं) के ० (सुवर्ण) कुमार ए adri aat (धवला) के० उज्वल होय छे. तथा (वाउण) के० वायुकुमारनां वस्र (संझरुइ) के० संध्याना रंग सरखा छे. हवे भुवनपति विगेरे दशे निकायना इंद्रोना सामानिक देवोनी तथा आत्मरक्षक देवोनी संख्या कहे छे:
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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