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________________ मुकीने वचमांना एक लाख अठोतेर हजार योजनांहे, ते के ते भुवनाति देवोना, (भवणा) के० भुवनो छे. तेमां नाना भुवनो (जंबुद्दीव समा) के० जंबुद्धिा सरखा छे. (तह) के० तथा मध्यम भुवनो ते, (संख) के० संख्यात कोटी योजन प्रमाण छे, तथा उत्कृष्टाते (असंखिज) के० असंख्याता कोटा कोटी योजन प्रमाण, (वित्थारा) के० विस्तारवंत होय छे ॥२९॥ हवे धणा देवोमां पोतयोतानी निकाय जाणी शकाय माटे असुरादिक दश निकायना देवोनां मुकुनदिक आभूषणने विषे चिन्हो होय छे ते कहे छे:चूडामणि फणि गरुडे, वज्जे तह कलस सीह अस्सेय, ॥ गय मगर वद्धमाणे असुराइगं मुणसु चिण्हं ॥ ३० ॥3 ___ अर्थः-असुरकुमारना मुकुटने विषे, (चूडामणि) के० चूडामणिर्नु चिन्ह छे. नागकुमारना आभूषगने विधे, (फणि] के० सपर्नु चिन्ह छे सूवर्णकुमारना आभूषणने विषे, (गरुड) के० गरुडर्नु चिन्ह छे. विद्युत्कुमारना मुकुटमां, (वज्जे) के० वज्रनु चिन्ह छे. (तह) के० तथा अग्निकुमारना आभूषणमां, (कलस) के० कलसर्नु चिन्ह छे द्विमकुमारना आभूषणमां (सोह) के० सिहर्नु चिन्ह छे, उदधिकुमारना मुकटने विषे के० (अस्सेय०) अश्वनु चिन्ह छे, दिशिकुमारनां मुकुट विषे, (गय) के० हाथीनु चिन्ह छे, वायुकुमारना आभूषणने विषे, (मगर) के० मगरनु चिन्ह छे स्तनितकुमारना आभूषणने विवे, (बद्धमाणे०) के०सराव संपूटर्नु चिन्ह छे. ए प्रमाणे (अमराईणं) के० असुरादिक दश भुवन पतिनां (चिण्डं) के० चिन्ह (मुगसु) के० जाणवा. ॥ ३० ॥ ___ हवे एज असुरादिक दश प्रकारना भुवनपति देवोना शरीरनो वर्ण कह छे:
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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