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________________ ३२ भारतीय संवतों का इतिहास कि उसकी गद्दी पर आने से शुरू होता था, पूरे एक वर्ष तक नहीं चलता था बल्कि आने वाली भाद्रपद शुद्ध के ११ वें दिन समाप्त हो जाता था। इस तरह से पहले राजा का अन्तिम राज्य काल का वर्ष तथा दूसरे के राज्य काल का पहला वर्ष मिलाकर एक वर्ष होता था। इस प्रक्रिया में एक वर्ष छूट जाता था। इस तरह से एक ओड़को वर्ष का समकालीन अंग्रेजी वर्ष निकालने के लिए प्रथम यह आवश्यक था कि यह कौन सा ओड़को है अर्थात् जगन्नाथ है या पालिकमेडी है अथवा कोई अन्य । द्वितीय यह कि जो वर्ष छोड़े गये हैं उनका घटना (अर्थात् पहला, छठा, सोलहवां, बीसवां, छब्बीसवाँ, तीसवां, छत्तीसवां, चालीसवां, पचासवां, व छप्पनवां) उड़ीसा के राजकुमारों की सूची उपलब्ध है लेकिन १७६७ ई. तक की गणना बिल्कुल विश्वसनीय नहीं हैं।' १. राबर्ट सीवन, 'दि इन्डियन कलण्डर', लन्दन, १८९६, पृ० ३८-३६)
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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