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________________ २०० भारतीय संवतों का इतिहास प्रामाणिक आधार पर एक कलैण्डर बनाया जाये। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय कलण्डर का निर्माण किये जाने का एक महत्वपूर्ण कारण ग्रिगोरियन कलेण्डर का त्रुटिपूर्ण होना भी है। इतिहास लेखन का प्रमुख आधार संवत् है। घटनाओं का क्रमिक रूप में अध्ययन करने व उसके समयान्तर को समझने के लिए संवत् की आवश्यकता है। एक राष्ट्र की राष्ट्रीय पहचान व राष्ट्रीय एकता के लिए राष्ट्रीय संवत् की आवश्यकता है । "जिस संवत् को राष्ट्र के अधिकांश भाग में प्रयोग किया जाये, जिसके साथ राष्ट्रीय भावना जुड़ी हो तथा जो इतिहास का प्रमुख आधार रहा हो, ऐसे संवत् को राष्ट्रीय संवत् कह सकते हैं। किसी भी राष्ट्र की पहचान के लिए राष्ट्र के कुछ विशेष चिन्ह होते हैं अपने पृथक-पृथक स्वार्थों में मनुष्यों में चाहे जो भी भेद-भाव हों, लेकिन इन चिन्हों के प्रति उन भावनाओं के प्रति राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक स्वयं को समान रूप से उत्तरदायी महसूस करता है । इन्हीं कुछ तत्वों के प्रति मनुष्यों की भावनायें एक राष्ट्रीयता को जन्म देती हैं। राष्ट्रीय एकता की भावना उत्पन्न करती हैं। जिस प्रकार एक राष्ट्र की राष्ट्रीय एकता को राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय भाषा, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय चिन्ह से संबल मिलता है, इसी परिप्रेक्ष्य में यदि एक राष्ट्रीय सम्वत् भी हो तब वह राष्ट्रीय एकता के निर्माण में महत्वपूर्ण सहायक हो सकता है। भारतवर्ष की परिस्थितियों में यह तथ्य और भी अधिक महत्वपूर्ण है । क्योंकि यहाँ विभिन्न सम्प्रदायों, धर्म व जाति के लोग बसते हैं। जो अपने-अपने सम्प्रदायों से सम्बन्धित सम्वतों व गणना पद्धतियों का प्रयोग करते हैं। इतना ही नहीं एक ही सम्प्रदाय द्वारा विभिन्न संवत् प्रयोग किये जाने, एक ही संवत् का विभिन्न रूप में प्रयोग करने तथा एक ही संवत के वर्ष का देश के विभिन्न भागों में पृथक-पृथक वर्षारंभ मनाने की प्रथा भी भारत में प्रचलित है। इस प्रकार की प्रवृत्ति एक सम्प्रदाय को दूसरे सम्प्रदाय के रीति-रिवाजों व त्यौहारों से अनभिज्ञ रखती है तथा विभिन्न सम्प्रदायों में पृथकता की भावना पनपती है। अत: भारतीय परिस्थितियों में यह और भी अनिवार्य हो जाता है कि एक वैज्ञानिक व सर्व उपयोगी राष्ट्रीय संवत् ग्रहण किया जाये। १. अपर्णा शर्मा, 'भारतीय राष्ट्रीय सम्वत्', "शोधक", वोल्यूम १५, १६८५, पृ०३६।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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