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________________ भारत में सम्वतों की अधिक संख्या की उत्पत्ति के कारण... १६६ संवत् आरंभ किये जाने का मूल कारण यही था कि प्राचीन संवतों की संख्या बहुत अधिक हो गयी थी तथा उसमें से किसी को भी राष्ट्रीय नहीं माना जाता था, कोई भी पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व नहीं करता था और न ही किसी की भी गणना पद्धति इतनी सशक्त थी कि वह नवीन धारणाओं, नागरिक, सामाजिक व धार्मिक भावनाओं का प्रतिनिधित्व कर पाता। भारत वर्ष में प्रारम्भिक संवत् दैनिक चरित्रों, धार्मिक विश्वासों तथा अलौवि.क व्यक्तियों से ही सम्बन्धित थे । इसके अतिरिक्त इनकी गणना विधि अत्यधिक जटिल और इनके गणक बहुत बड़ी बड़ी संख्याओं वाले थे, जिसके कारण ये संवत सामान्य प्रयोग के लिए उचित न थे। क्योंकि ये संवत् अधिक से अधिक प्राचीनता से जुड़ जाना चाहते थे, अतः इनके अंक भी सहस्त्रों में आने लगे। इस श्रेणी में मूल रूप से सृष्टि संवत्, राम का काल, ब्रहस्पति काल, कलियुग, युधिष्ठिर संवत्, परशुराम का चक्र, लौकिक संवत्, ग्रह परिवर्ती चक्र आदि आते हैं। उपरोक्त संवत् जो धार्मिक चरित्रों से सम्बद्ध थे या मिथकों पर आधारित थे, अपनी गणना पद्धति के कारण ही धीरे-धीरे सामान्य प्रयोग से हटते चले गये। इसके पश्चात् भारत में संवतों को ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़ने की प्रथा प्रचलित हुयी । इन में यद्यपि गणना पद्धति तो प्राचीन ही ग्रहण कर ली गयी थी तथा बहुत से तथ्य परस्पर मेल खाते हैं, परन्तु विभिन्न शासकों ने विभिन्न अवसरों पर इनका आरंभ किया। इस प्रकार भारत में बहुत से संवतों का प्रचलन हुआ। इनमें अनेक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आज भी प्रचलित हैं। अतः स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार के समक्ष यह समस्या थी कि इनमें से किसको राष्ट्रीय पंचांग के रूप में ग्रहण किया जाये । नये राष्ट्रीय पंचांग (संवत् का स्वरूप क्या हो? तथा नया पंचांग किन उद्देश्यों को पूरा करे ? इन्हीं सब समस्याओं को सुलझाने व भारत के लिए राष्ट्रीय पंचांग का निर्माण करने के लिए नवम्बर, १९५२ में भारत सरकार द्वारा एक कलण्डर सुधार समिति की स्थापना की गयी। “समिति की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र में प्रचलित विभिन्न संवतों, जो परस्पर भिन्न हैं, का अध्ययन करना था तथा एक नया व लैण्डर बनाना था जो पूरे राष्ट्र में नागरिक व प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सके। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सर्वप्रथम यह आन्दोलन आरम्भ किया कि समस्त भारत के लिए ज्योतिष के १. 'इण्डिया, १९७९' हिन्दी रूपान्तर, "भारत वार्षिक संदर्भ ग्रंथ", फरीदाबाद, १६७६, पृ० २५।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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