SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काल गणना का संक्षिप्त इतिहास, इकाईयाँ व विभिन्न चक्र पाश्चात्य प्रभाव के कारण इस पंचांग की शुद्धता पर पुनः प्रश्न चिन्ह लगाये गये तथा सुधार की आवश्यकता अनुभव की गई। १६ वीं शताब्दी में पुरानी पंचांग तालिकाओं के स्थान पर नई पंचांग तालिकाओं का प्रयोग किया गया। एस० दीक्षित, बी० बी० केतकर तथा बी०जी० तिलक इन नवीन तालिकाओं के प्रणेता थे। १९०५ में जगदगुरुशंकराचार्य द्वारा बम्बई में एक सभा का आयोजन इस संदर्भ में किया गया कि नई अथवा पुरानी पद्धति में से किसको ग्रहण किया जाये, इसमें दर्शाया गया कि पुरानी व नई तिथियों तथा तारों सम्बन्धी संक्रान्तियां चत्र विधि के अनुसार सब पंचांगों में हों । १६१० में ट्रावनकोर के एक शहर में सभा आयोजित की गई। इसमें भी विद्वान एक मत नहीं हो सके । बनारस के एम० एम० सुधाकर द्विवेदी ने पारम्परिक सूर्य सिद्धान्त की विधियों का धार्मिक कार्यों के लिए प्रयोग किया। शक संवत् के आरम्भ से भारत में पंचांगों पर क्षेत्रीय प्रभाव रहा है। विभिन्न स्थानों पर वर्ष का आरम्भ विभिन्न अवसरों से किया जाता है । सिंधु व कन्नौज के लोग मार्ग शीर्ष की अमावस्या से, मुलतान व काश्मीर के लोग चैत्र की अमावस्या से वर्ष आरम्भ करते हैं।' प्रायः भारत के प्रत्येक भाग में क्षेत्रीय पंचांग प्रचलित रहा। इनमें समानता व एकता का अभाव था प्रत्येक क्षेत्रीय पंचांग की अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि थी। उन पर स्थानीय रिवाजों व प्रथाओं का प्रभाव था। सभी क्षेत्रीय पंचांग, वर्ष आरम्भ, महीनों के नाम आदि में भिन्न थे। भारतीय पंचांगों के इस गहन विवाद के कारण भारत सरकार ने १६५२ में मेघनाथ साहा की अध्यक्षता में पंचांग सुधार समिति की स्थापना की। इस समिति ने विभिन्न क्षेत्रीय पंचांगों का अध्ययन कर एक नये राष्ट्रीय पंचांग का निर्माण किया। इसका उद्देश्य सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक पंचांग निर्माण करना था। भारत का राजपत्र, आकाशवाणी से समाचार प्रसारण, भारत सरकार द्वारा जारी किया गया कलेन्डर तथा भारत सरकार द्वारा नागरिकों को सम्बोधित पत्र आदि के संदर्भ में इस पंचांग का निर्माण किया गया। राजा जय सिंह का नाम भी भारतीय ज्योतिष विज्ञान के इतिहास में १. अल्बेरुनी, 'अल्बेरूनी का भारत', अनुवादक संतराम, भाग-३ प्रयाग, १६२८, पृ० १० २. वार्षिक संदर्भ ग्रन्थ, 'भारत' भारत सरकार मुद्रणालय, फरीदाबाद, १९७६ पृ० २५।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy