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________________ १७८ भारतीय संवतों का इतिहास से प्रकाशित दूसरा काशी विश्वनाथ पंचांग है। इसकी विशिष्टता यह है कि यह सबसे पहले तैयार होता है तथा एक वर्षीय पंचांग है। तीसरा बापदेव शास्त्री का पंचांग वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय से निकलता है। इसकी गणना भी विद्यार्थियों द्वारा की जाती है। चौथा गणेशाषा पंचांग है । इसके प्रकाशक राजराजेश्वरी पंचांग कार्यालय बनारस है। श्री वेंकटेश्वर शताब्दी पंचांग १०० वर्षीय पंचांग है। मुख्य रूप से यह राजस्थान में प्रचलित है परन्तु उत्तरी भारत में भी इसका प्रयोग होता है। यह सौर ग्रह-लाधव पद्धति पर पाधारित है। इस पंचांग की कुछ विशेषतायें इस प्रकार हैं।' (१) आर्ष सूक्तियों के अनुसार जयपुर ज्योतिष यन्त्रालय द्वारा बारम्बार प्रत्यक्षानुभव करके वेद सिद्ध सूक्ष्मदृष्य (शुद्ध प्राचीन) गणित से श्री सरस्वती पंचांग को तैयार कर विद्वानों की सेवा में समर्पित किया जाता है। (२) उत्तर भारत व राजस्थान में यही एक ऐसा पंचांग है जो जयपुर ज्योतिष यन्त्रालय के यन्त्रों द्वारा अपने गणित की सत्यता प्रत्यक्ष दिखाने में समर्थ है। ये दोनों ही विशिष्टतायें पंचांग की किसी गणितीय विशिष्टता को नहीं दिखातीं क्योंकि कोई भी पंचांग निर्माण अथवा प्रकाशक उसकी सत्यता को ही बतायेगा उसको असत्य नहीं बतायेगा । इस शताब्दी पंचांग की गणना सम्बन्धी विशिष्टतायें ये हैं : (१) संवत् २००१ से २०१५ तक तिथ्यादि (तिथि नक्षत्र योग एवं चन्द्रमा) गणित गृहलाघव से की हुयी है। उसके बाद संवत् २०१६ से सूक्ष्म गणित (केतकी) से किये गये हैं । (२) संवत् २००१ से २०२० तक पंक्ति का प्रथम सूर्य सौर वर्षीय है और अन्तिम दृष्य पक्ष से है । २०२१ से २१०० तक पंक्तिस्थ प्रथम सूर्य पक्षीय तथा अन्तिम सौर पक्षीय है। (३) संवत् २००१ से २०५० तक अंग्रेजी तारीखें राष्ट्री (हिन्दी) और मुसलमानी तारीखों से पहले दी गयी है। २०५१ के बाद में चन्द्रमाओं से पूर्व है। १. "श्री वेंकटेश्वर शताब्दी पंचांग", गणितकर्ता ईश्वरदत्त शर्मा, बम्बई, १९८७, सम्पादकीय । २. वही।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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